पटरी पुल ने रोका मीरगंज के दर्जनों गांंवों का विकास सत्य पथिक वेब पोर्टल, मीरगंज, बरेली: संवेदना शून्य जनप्रतिनिधियों, गैरजिम्मेदार अफसरशाही और वायदा फरामोश शासन को झकझोरकर जगाने के मकसद से मीरगंज ब्लॉक के गांव नरखेड़ा के दर्जनों बाशिंदों भाखड़ा नदी के बीचोंबीच गहरी धारा में खड़े होकर संकल्प दोहराया है कि ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’। बाद में मीरगंज तहसील पहुंचकर एसडीएम ममता मालवीय को इसी आशय का ज्ञापन भी दिया है। पटरी पुुुल ने रोका मीरगंज के दर्जनोंं गांवोंं का विकास नरखेड़ा गांव से मीरगंज, बरेली (विधान केसरी)। संवेदना शून्य जनप्रतिनिधियों, गैरजिम्मेदार अफसरशाही और वायदा फरामोश शासन को झकझोरकर जगाने के मकसद से मीरगंज ब्लॉक के गांव नरखेड़ा के दर्जनों बाशिंदों ने भाखड़ा नदी के बीचोंबीच गहरी धारा में खड़े होकर संकल्प दोहराया है कि ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’। बाद में मीरगंज तहसील पहुंचकर एसडीएम ममता मालवीय को इसी आशय का ज्ञापन भी दिया है। नरखेड़ा गांव से एकदम सटकर बह रही भाखड़ा नदी पिछले कई दशक से इस और आसपास के दर्जनों गांवों का विकास का रास्ता रोके हुए है। कड़ाके की सर्दी में भाखड़ा नदी की बीच धार में घंटों से खड़े नरखेड़ा के रानू चौधरी, कृपाल सिंह, यशपाल सिंह, जसवीर सिंह, सुमेंद्र सिंह, भीमसेन कश्यप, कमल किशोर भूपेंद्र राठौर, ठाकुर दास, पप्पू कश्यप, छत्रपाल, सुनील कश्यप, गंगाराम, नारद आदि ने बताया कि क्षेत्रवासियों की दशकों पुरानी मांग को अनसुना करते हुए गूंगी-बहरी सरकारों ने नदी पर छोटा सा पुल नहीं बनवाया है। मजबूरन खेती-किसानी, हाट-बाजार के रोजमर्रा के तमाम जरूरी काम निपटाने के लिये लकड़ी के टूटे-फूटे, कमजोर पटरों के पुल से होकर ही खेतों पर या मीरगंज, बरेली, रामपुर आना-जाना पड़ता है। अक्सर कमजोर पटरे टूटने से राहगीर बाइक और बीवी-बच्चों समेत नदी में गिर भी जाते हैं। बरसात के चार-पांच महीनों में नदी में बाढ़ आने पर पटरों के पुल पर जब आवागमन बंद हो जाता है तो क्षेत्रवासियों को 15-20 किमी का फेर काटकर मिलक, मीरगंज आना-जाना पड़ता है। लिहाजा परेशान क्षेत्रवासियों ने एकराय होकर पुल निर्माण की घोषणा होने तक आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का पूरी तरह बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। एसडीएम ममता मालवीय ने बताया कि अभी ज्ञापन मिला नहीं है। मिलेगा तो उसे अपनी सकारात्मक टिप्पणी के साथ डीएम और शासन को जरूर भिजवाऊंगी। चौधरी छत्रपाल बोले-1995 में भी हुआ था आंदोलन, बरार ने भी की थी पैरवी जिला सहकारी बैंक के पूर भाखड़ा नदी पिछले कई दशक से इस और आसपास के दर्जनों गांवों का विकास का रास्ता रोके हुए है। कड़ाके की सर्दी में भाखड़ा नदी की बीच धार में घंटों से खड़े नरखेड़ा के रानू चौधरी, कृपाल सिंह, यशपाल सिंह, जसवीर सिंह, सुमेंद्र सिंह, भीमसेन कश्यप, कमल किशोर भूपेंद्र राठौर, ठाकुर दास, पप्पू कश्यप, छत्रपाल, सुनील कश्यप, गंगाराम, नारद आदि ने बताया कि क्षेत्रवासियों की दशकों पुरानी मांग को अनसुना करते हुए गूंगी-बहरी सरकारों ने नदी पर छोटा सा पुल नहीं बनवाया है। मजबूरन खेती-किसानी, हाट-बाजार के रोजमर्रा के तमाम जरूरी काम निपटाने के लिये लकड़ी के टूटे-फूटे, कमजोर पटरों के पुल से होकर ही खेतों पर या मीरगंज, बरेली, रामपुर आना-जाना पड़ता है। अक्सर कमजोर पटरे टूटने से राहगीर बाइक और बीवी-बच्चों समेत नदी में गिर भी जाते हैं। बरसात के चार-पांच महीनों में नदी में बाढ़ आने पर पटरों के पुल पर जब आवागमन बंद हो जाता है तो क्षेत्रवासियों को 15-20 किमी का फेर काटकर मिलक, मीरगंज आना-जाना पड़ता है। लिहाजा परेशान क्षेत्रवासियों ने एकराय होकर पुल निर्माण की घोषणा होने तक आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का पूरी तरह बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। एसडीएम ममता मालवीय ने बताया कि अभी ज्ञापन मिला नहीं है। मिलेगा तो उसे अपनी सकारात्मक टिप्पणी के साथ डीएम और शासन को जरूर भिजवाऊंगी।

चौधरी छत्रपाल बोले-1995 में भी हुआ था आंदोलन, बरार ने भी की थी पैरवी
जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन और सहकारी गन्ना विकास समिति मीरगंज के संस्थापक सभापति रहे नरखेड़ा के मूल निवासी चौधरी छत्रपाल सिंह बताते हैं कि वर्ष 1995 में भी उन्होंने नरखेड़ा, बलेही पहाड़पुर, मंडवा बंशीपुर, सुकली, नरेली समेत दर्जनों गांवों के प्रधानों और सैकड़ों क्षेत्रवासियों के साथ तहसील पर प्रदर्शन कर एसडीएम को पुल निर्माण से संबंधित ज्ञापन दिया था। तत्कालीन एमएलसी जयदीप सिंह बरार ने भी शासन स्तर पर तगड़ी पैरवी की थी।

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