कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इस महीने के अंत तक कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड (Employee’s Provident Fund) में 8.5 फीसदी की ब्याज जमा कर सकता है. इससे करीब 6 करोड़ पीएफ खाताधारकों (PF Accountholders) के खाते में पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान की ब्याज की रकम जमा होगी. इस साल सितंबर महीने में EPFO 8.5 फीसदी ब्याज को 8.15 फीसदी और 0.35 फीसदी के दो इंस्टॉलमेंट्स में बांटने का फैसला किया था. EPFO ने यह फैसला श्रम मंत्री संतोष गंगवार (Santosh Gangwar) के साथ एक बैठक के बाद लिया था.

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अपने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि श्रम मंत्रालय (Labor Ministry) ने वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव तहत सहमति मांगी है कि 2019-20 के लिए EPF खातों में 8.5 फीसदी की ब्याज जमा कर दी जाए. आने वाले सप्ताह में वित्त मंत्रालय इसपर फैसला ले सकता है. इसके बाद दिसंबर महीने के अंत में यह ब्याज पीएफ होल्डर्स के खातों में भेज दिए जाएंगे.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में तय हुई ब्याज दर
सूत्रों ने बताया है कि इसके पहले वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने पिछले वित्त वर्ष में ब्याज दर को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था. बाद में उसे इसे बारे में जानकारी भी दे दी गई थी. इसी साल मार्च में, EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT – Central Board of Trustees) की एक बैठक में 8.5 फीसदी की दर से ब्याज देने की मंजूरी दी गई थी. इस बैठक में संतोष गंगवार भी शामिल रहे थे.
दो इंस्टॉलमेंट में आने थे पीएफ ब्याज के पैसे
सितंबर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की एक वर्चुअल बैठक में EPFO ने पिछले वित्त वर्ष के लिए 8.5 फीसदी की दर से ब्याज देने का अंतिम फैसला लिया था. इसी बैठक में तय हुआ कि इसे दो इंस्टॉलमेंट में बांटा जाएगा. पहला इंस्टॉलमेंट 8.15 फीसदी और दूसरा इंस्टॉलमेंट 0.35 फीसदी का होगा. उस दौरान श्रम मंत्रालय ने कहा था कि कोविड-19 की इस असाधारण परिस्थिति में पीएफ ब्याज दरों का रिव्यू किया गया है और CBT सरकार से सिफारिश की है कि यह दर 8.5 फीसदी होनी चाहिए.
उस दौरान बताया गया था कि 8.50 फीसदी में से 8.15 फीसदी ब्याज एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के डेब्ट इनकम के जरिए और बाकी 0.35 फीसदी कैपिटल गेन्स से आएगा. पहले की प्लानिंग के तहत 8.15 फीसदी ब्याज वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद ईपीएफ में जमा की जानी थी. जबकि, बाकी का 0.35 फीसदी दिसंबर तक आने थे.
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पिछले वित्तीय वर्ष के लिए पीएफ ब्याज का भुगतान करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ईटीएफ में अपने निवेश को लिक्विडेट करन का फैसला किया था. हालांकि, लॉकडाउन के बीच बाजार की स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं हो सका. चूंकि अब बाजार की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हुई है, ऐसे में अब ईपीएफओ का काम बन सकता है.
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