बोले पूर्व महापौर-वरिष्ठ भाजपा नेता कुंवर सुभाष पटेल, कहा-प्रस्ताव भेजने से पहले जिला पंचायत से पूछ जरूर लें
सत्य पथिक वेबपोर्टल/बरेली/politics: पूर्व महापौर और वरिष्ठ भाजपा नेता कुंवर सुभाष पटेल ने तीन गांवों धौरेरा माफी, डोहरा और करगैना को नगर निगम में शामिल करने से पहले निगम के संबंधित अधिकारियों को जिला पंचायत से लिखित अनुमति अवश्य ले लेनी चाहिए। यह विधिक रूप से ही नहीं, व्यावहारिक तौर पर भी तर्कसंगत और उचित है।
कुंवर सुभाष पटेल का कहना है कि पूर्व में जिन गांवों या कस्बों को नगर निगम में शामिल किया गया, वहां नगर निगम द्वारा विकास तो कोई खास कराया नहीं गया, उल्टे इन गांवों के गरीब, मजदूर तबके के बाशिंदों को भी भवन, जल कर, संपत्ति रजिस्ट्री शुल्क और दीगर तमाम भारी भरकम टैक्सों के बोझ से लाद दिया गया।

पूर्व महापौर ने कहा कि इन तीनों गांवों के जनप्रतिनिधियों और प्रबुद्ध नागरिकों की एकस्वर से यही मांग है कि इन गांवों को नगर निगम में शामिल करने के बजाय यथास्थिति ही बरकरार रखी जाए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गांवों का विकास नगर निगम नहीं कराता, बल्कि ग्राम पंचायतों को क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और प्रदेश या केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाले धन से ही कराया जाता है।

नगर निगम के महापौर रह चुके श्री पटेल कहते हैं-वैसे भी नगर निगम तो इन गांवों को निगम में शामिल किए जाने का सिर्फ प्रस्ताव ही बनवाकर उत्तर प्रदेश शासन को भेज सकता है। इस प्रस्ताव पर मंजूरी की मुहर लगाना या नामंजूर कर देना प्रदेश सरकार का ही विशेषाधिकार है। जनभावनाओं का सम्मान करते हुए जिला पंचायत द्वारा अगर इन गांवों को नगर निगम में शामिल नहीं कराने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया तो नगर निगम को और भी फजीहत झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में भाई-भाई होने के नाते नगर निगम को यह प्रस्ताव पारित कराकर शासन को भेजने से पहले जिला पंचायत से एक बार पूछ लेने की औपचारिकता जरूर निभानी चाहिए।