दो भागों में बंटे जिला अस्पताल में एंबुलेंस तक की आवाजाही में दिक्कत
सीवर लाइन ओवरफ्लो से अस्पताल के रास्तों पर भरा रहता है गंदा पानी
पुराने बर्न वार्ड, पैथोलॉजी, शवगृह को हटाकर बनवाया जाए बहुमंजिला भवन


सत्य पथिक वेबपोर्टल/बरेली/Bareilly District Hospital: कोतवाली-कुतुबखाना रोड के दोनों तरफ आबाद बरेली के महाराणा प्रताप मेमोरियल जिला हॉस्पिटल को ही अब फौरन बड़ी सर्जरी की जरूरत है। जिला हॉस्पिटल का छोटा सा मेन गेट दुकानदारों के स्थायी-अस्थायी अतिक्रमण से इस कदर घिर चुका है कि एंबुलेंस से मरीज को इमरजेंसी तक पहुंचाने में ही काफी समय लग जाता है। इंदिरा मार्केट वाला दूसरा गेट अतिक्रमण की वजह से दिन भर बंद ही रहता है। और तो और, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कक्ष का भवन भी गिरताऊ है। छत का प्लास्टर टूटकर कई बार गिर चुका है। व्यापक जनहित में सीएमओ, सीएमएस समेत सभी अधिकारियों के कार्यालय कोतवाली रोड के उस पार तत्काल नया भवन बनवाकर स्थानांतरित किए जाने की जरूरत है।

महाराणा प्रताप जिला हॉस्पिटल में भारी भीड़ के चलते इलाज को आए कमजोर-बुजुर्ग मरीज डॉक्टरों के कमरों के बाहर ही भटकते रहते हैं। ओपीडी के बाहर बने गैलरीनुमा बरामदे में मरीजों के बैठने को बेंच तक नहीं है। यही हाल पैथोलॉजी का भी है। यहां भी अपना सैंपल देने आए मरीज गर्मी, धूप, बारिश में बाहर ही खड़े होने को मजबूर होते हैं। यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को ई-मेल भेजकर मांग की है कि टीबी सेंटर और पुराने बर्न वार्ड, पैथोलॉजी, शवगृह जैसी जिला अस्पताल की पुरानी गिरताऊ इमारतें तुड़वाकर मल्टीस्टोरी आधुनिक वार्ड डॉक्टरों, स्टाफ के आवास के साथ ही बड़ा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बनवाए जाएं। साथ ही बांसमंडी के राजकीय आयुर्वेदिक हॉस्पिटल को भी यहीं शिफ्ट कराया जाए। साथ ही बरेली स्थित उत्तर प्रदेश का एकमात्र स्पाइनल इंजरी सेंटर भी बदहाल पड़ा है, उसे भी जीवनदान दिया जाए।

जिला अस्पताल में सीवर लाइन चोक रहने से बरसात के मौसम में गंदा पानी मार्गों पर भर जाता है। वाहनों की पार्किंग की भी उचित व्यवस्था नहीं है। बड़ा जनरेटर नहीं होने की वजह से बिजली चली जाने पर मरीजों से लेकर डॉक्टर तक परेशान होते हैं। हॉस्पिटल में हरियाली तो दूर-दूर तक नहीं है । हॉस्पिटल में उपरिगामी निर्माणाधीन पुल भी धनराशि खपाने का ही माध्यम बन रहा है। इसकी गुणवत्ता पर मंडलायुक्त ने भी आपत्ति जताई थी।

वर्ष 1970 के दशक में जिला हॉस्पिटल की चहारदीवारी के पास रखे लकड़ी के कुछ खोखे दीपावली पर हुए अग्निकांड में जल गए थे। प्रदेश सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस नेता स्वर्गीय रामसिंह खन्ना के प्रयासों से चहारदीवारी के पास पक्की दुकान बनवाई गईं जो अब शोरूम्स में बदल चुकी हैं। इन दुकानों का कितना किराया जिला हॉस्पिटल को मिलता है, इसका ब्यौरा भी नहीं दिया जा रहा है। 300 बेड हॉस्पिटल भी स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं कराया गया है। मौजूदा और भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन सब समस्याओं का युद्धस्तर पर निपटारा करने की सख्त जरूरत है।