सत्य पथिक वेबपोर्टल/बरेली/heavy rainfall ruins farmers livelihood: अक्तूबर की तीन दिन की बेमौसम बारिश ने लगातार दूसरे साल भी चौतरफा मार झेल रहे किसानों के आजीविका और अरमानों को पूरी तरह धो डाला है। छह माह की खून-पसीने की मेहनत से पककर तैयार हुई धान की फसल को पहले सूखे ने मारा और अब चार दिन से लगातार हो रही भारी बरसात और बाढ़ बची-खुची सारी फसल और छह महीने की गाढ़ी कमाई को अपने साथ बहा ले जा रही है।

बरेली जिले में मीरगंज से लेकर बहेड़ी, नवाबगंज, फरीदपुर, आंवला और सदर तहसील का शायद ही कोई गांव बचा होगा, जहां धान की कटी पड़ी या खेतों में बिछी फसल लगातार बारिश की वजह से पूरी तरह बर्बाद न हो गई हो। पड़ोसी जिले रामपुर, बदायूं समेत उत्तर प्रदेश के अधिकांश जनपदों का भी कमोबेश यही हाल है। धान के अलावा ऊंचा गन्ना भी तेज हवा-आंधी के झोंकों में खेतों में लोट गया है। खरीफ की बाकी फसलें और साग-सब्जियां भी पूरी तरह नष्ट हो गई हैं।

निष्ठुर कुदरत और संवेदनहीन शासन-प्रशासन की दुतरफा मार झेल रहे कई किसानों की दुखती नब्ज को छेड़ा तो वे बिलबिला पड़े। किसी की बेटी की शादी सिर पर है तो किसी को बेटी के छोछक का इंतजाम करना है। किसी को बिटिया के ब्याह के वास्ते लिए गए कर्ज को उतारने की चिंता जीते जी मारे डाल रही है तो किसी को बरसात में ढहे मकान को बनवाने का अझेल दर्द रात-रात भर सोने नहीं दे रहा है।
मीरगंज, शीशगढ़ इलाके के कई भुक्तभोगी किसानों ने बताया कि धान के खेतों में बाढ़ में उफनाई भाखड़ा, पीलाखार और बहगुल नदियों की तेज धार बह रही है। पुआल समेत काफी धान बाढ़ में बह गया है। बचा-खुचा धान कई दिन की बारिश में सड़कर इस कदर बर्बाद हो चुका है कि धान या चावल इंसानों के ही नहीं, जानवरों तक के खाने लायक नहीं रह गया है।

किसानों ने अपना दर्द उड़ेलते हुए बताया कि बड़े-बड़े सपने दिखाकर और उम्मीदें जगाकर व्यापारी ने महंगा बीज, खाद और कीटनाशक बेच दिया। ऊंची कीमत पर पौध खरीदकर धान चहोरा लेकिन पखवाड़ों तक आसमान की तरफ ताकते रहने के बावजूद बूंदें नहीं बरसीं। मजबूरन महंगा डीजल खरीदकर धान की फसल तैयार करने के लिए नौ-दस बार किराए पर पंपिंगसेट चलवाकर सिंचाई करवानी पड़ी। अब-जब सारी जमा-पूंजी लगाकर धान की फसल तैयार की तो तीन दिन की बारिश बहा ले गई। अब कोई बताए, देश-दुनिया का पेट भरने वाला लघु-सीमांत अन्नदाता काश्तकार निष्ठुर कुदरत और अंधे-बहरे सिस्टम की मार आखिर कब तक झेलता रहेगा?

किसानों की मानें तो हालांकि, हर साल की तरह इस बार भी बाढ़-अतिवृष्टि से प्रभावित गांवों में लेखपालों द्वारा राहत वितरण की कागजी कार्रवाई जरूर चलेगी लेकिन बाढ़-अतिवृष्टि की मार से बुरी तरह तबाह हुए कितने पात्र किसानों तक योगी सरकार की यह राहत असल में पहुंच पाएगी, यह हम और आप सब बखूबी जानते हैं?
