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कैंसर रोगियों को चाहिए इलाज के साथ भी प्यार और अपनत्व भी

सामाजिक संस्था सर्वजन हितकारी संघ के तत्वावधान में स्थानीय सिटी स्टेशन के सामने विश्व कैंसर दिवस पर केंद्रित विचार गोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन कर लोगों को कैंसर से बचाव के लिए जागरूक किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' की अध्यक्षता और समाजसेवी योगेश जौहरी के मुख्य आतिथ्य में माँ शारदे के चित्र पर दीप जलाकर, माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष उपमेंद्र सक्सेना एड० ने कहा कि आज कैंसर बहुत तेजी के साथ अपने पाँव पसार रहा है जिसका मुख्य कारण अव्यवस्थित दिनचर्या, मिलावटखोरी, अनियंत्रित प्रदूषण एवं नशाखोरी आदि हैं। इन सब कारणों से मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है और बड़ी तादाद में कैंसर जैसी घातक बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं।

श्रेष्ठ रचना धर्मिता के लिए हाल ही में कला भारती अवार्ड से सम्मानित हो चुके श्री सक्सेना ने कहा कि कैंसर रोगियों को सस्ते-बेहतर इलाज के साथ ही हम सबकी संवेदनशीलता और अपनत्व की सबसे अधिक आवश्यकता है। हमें संकल्पित होकर अपने परिवार, समाज में
कहीं कोई कैंसर पीड़ित नजर आए तो उसकी दिल खोलकर मदद करनी चाहिए। कैंसर रोगियों का मनोबल बढ़ाकर और उन्हें समय पर इलाज कराने के लिए प्रेरित करके ही कैंसर जैसी घातक बीमारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
इसके पीछे जो कारण हैं, उनको पूरी तरह दबोचें।।कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्यकार श्री रणधीर प्रसाद गौड़ धीर ने अपनी रचना के माध्यम से बताया-कैंसर तो वास्तव में एक बड़ा नासूर है।
कोशिकाएँ बढ़तीं जब लगता गर्म तंदूर है।
जैसे दीमक काठ में लोहे में कोरोजन लगे,
इसी तरह मानव के तन में कैंसर मशहूर है।
सुकवि ठा० राम प्रकाश सिंह 'ओज' ने मुक्तक के माध्यम से संदेश दिया
–मिलावटी वस्तु से अब बचना जरूरी है।बुरे व्यसन भी सदा को तजना जरूरी है;
और योग से रोग को करके नियंत्रण।
खान-पान पर संतुलन रखना जरूरी है।।समाजसेवी योगेश जौहरी ने कहा कि हमें कैंसर पीड़ित व्यक्ति के मन में यह धारणा बैठाने के लिए जागृत करना होगा कि उसे कैंसर से डरना, नहीं लड़ना है; क्योंकि अगर रोगी खुद ही हिम्मत हार जाए तो डॉक्टर भी कुछ नहीं कर सकते।
कार्यक्रम में डॉ. राम शंकर प्रेमी, राम कुमार भारद्वाज 'अफरोज', मनोज दीक्षित टिंकू, जगदीश निमिष, रामधनी निर्मल, सतीश शर्मा, शंकर स्वरूप, विजय कुमार, अनुज सक्सेना एवं आलेख सक्सेना आदि ने भी सशक्त काव्यपाठ कर गोष्ठी की शोभा बढ़ाई।
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