सत्य पथिक वेबपोर्टल/मुम्बई/speaker Election & Floor Test: महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद 4 जुलाई को शक्ति परीक्षण से पहले आज विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव एकनाथ शिंदे सरकार के लिए ‘अग्निपरीक्षा’ की घड़ी है। मुकाबला शिवसेना विधायक राजन साल्वी और भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर के बीच है।

उद्धव गुट के सचेतक सुनील प्रभु ने विधायकों को व्हिप जारी कर सभी शिवसेना सदस्यों से चुनाव के दौरान सदन में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। वहीं, एकनाथ शिंदे गुट स्वयं को असली शिवसेना बताता रहा है। शिंदे गुट के सचेतक भरत गोगावले को भी उद्धव गुट को भाजपा उम्मीदवार को वोट देने के लिए एक व्हिप जारी कर सकता है। बागी विधायक शनिवार को शिंदे के साथ गोवा से मुंबई लौट आए हैं।
दोनों गुटों के अपने-अपने दावे
शिंदे गुट का दावा है कि शिवसेना के 55 में से 39 विधायकों ने सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना है। यानी पार्टी के अधिकांश विधायकों का बहुमत शिंदे गुट के साथ है। लिहाजा चीफ व्हिप भरत गोगावले द्वारा जारी व्हिप को सभी 55 शिवसेना विधायकों को मानना पड़ेगा। अन्यथा उद्धव गुट के 16 विधायकों की सदस्यता व्हिप का उल्लंघन करने पर खतरे में पड़ जाएगी। उधर, उद्धव खेमा का दावा है कि अजय चौधरी उनके विधायक दल के नेता और सुनील प्रभु चीफ व्हिप है। सुनील प्रभु जो भी व्हिप जारी करेंगे, उसे बागी 39 विधायकों को भी मानना पड़ेगा।
दो ही रास्ते-संगठन फोड़ें या विलय कर लें
शिवसेना के 39 विधायकों ने जरूर बगावत की है लेकिन अधिकांश सांसद, विधायक, जिला, विभाग प्रमुख और अन्य सहयोगी संगठनों के प्रमुख अब भी ठाकरे के साथ हैं। यानी शिवसेना संगठन में फूट नहीं हुई है। जानकारों की मानें तो शिंदे गुट के पास अब दो रास्ते हैं। पहला, बीजेपी या विधायक बच्चू कडू की पार्टी प्रहार जनशक्ति संगठन में विलय कर लें। और दूसरा शिवसेना संगठन और सांसदों में भी बड़ी फूट करवा दें।
फिर खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा?
स्पीकर चुनाव के मतदान के बाद शिंदे गुट और उद्धव खेमा अपने-अपने व्हिप का उल्लंघन होने पर अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। फिर कोर्ट फैसला करेगा कि किसका व्हिप योग्य था और व्हिप का उल्लंघन करने वालों की सदस्यता रद्द होगी, या नहीं?