सत्य पथिक वेब पोर्टल, नई दिल्ली: Covishield vs Covaxin: कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है। इस अभियान के तहत 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसमें सबसे पहले 3 करोड़ कोरोना वारियर्स को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके बाद 50 वर्ष से अधिक उम्र और किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को टीका दिया जाएगा। हर एक व्यक्ति दो वैक्सीन लगाई जाएगी। ये दोनों वैक्सीन भारत में बनी हैं। पहली वैक्सीन का नाम कोवीशील्ड है जो पुणे में बनी है। वहीं, दूसरी वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है। कोवैक्सीन हैदराबाद में बनी है। आइए, कोवीशील्ड और कोवैक्सीन की कीमत और क्षमता के बारे में सब कुछ जानते हैं-

वैक्सीन को इमरजेंसी में मिली स्वीकृति?

कोवैक्सिन और कोवीशील्ड दोनों वैक्सीन्स को बड़े पैमाने पर ख़तरे को देखते हुए इमर्जेंसी में स्वीकृति दी गई है, जैसा कई दूसरे देशों में भी किया गया है। डॉक्टर्स का मानना है कि ये दोनों वैक्सीन बिल्कुल सुरक्षित हैं।

एंटीबॉडी बनाकर वायरस संक्रमण से बचाती है कोवीशील्ड

फाइज़र और मॉडर्ना जैसी ग्लोबल वैक्सीन, जो mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित है, भारत की दोनों वैक्सीन्स पारंपरिक तरीके से बनाई गई हैं। कोवीशील्ड या AZD-1222 एक वायरल वेक्टर का उपयोग करता है, जो सामान्य कोल्ड वायरस (एडेनोवायरस) के कमज़ोर स्ट्रेन से बना है, जिसमें SARS-COV-2 के समान आनुवंशिक सामग्री शामिल है। इसका टीका लगने पर शरीर की सुरक्षा स्पाइक प्रोटीन को पहचानती है और संक्रमण से बचने के लिए एंटीबॉडी तैयार करती है।

वायरस की दोहराने की क्षमता को निष्क्रिय करती है कोवैक्सीन

इसी तरह, कोवैक्सीन को वायरस के एक निष्क्रिय संस्करण का उपयोग करके बनाया गया है, यानी वैक्सीन वायरस की दोहराने की क्षमता को निष्क्रिय करती है, लेकिन उसके जीवन को बचाए रखती है, ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया दे सके जब वायरस संपर्क में आए या भविष्य में शरीर पर हमला करे। निष्क्रिय वैक्सीन का इस्तेमाल कई सालों से वैक्सीन निर्माता करते आए हैं। वायरस और रोगजनकों से लड़ने के लिए वर्षों से इसका उपयोग किया जा रहा है- जिसका अर्थ है कि एक हद तक, निष्क्रिय वैक्सीन सुरक्षित और विश्वसनीय होती हैं।

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