बरेली जिले के नियोजित विकास के वास्ते जिला परिषद, नगर निगम, बीडीए, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन भी है जरूरी

सत्य पथिक वेबपोर्टल/बरेली/Planned Development: बरेली शहर पर ट्रैफिक के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए इन दिनों स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत हजारों करोड़ रुपये की लागत से कई पुल या तो बन चुके हैं या निर्माणाधीन या प्रस्तावित हैं। लेकिन आम आरोप है कि बरेली में पुलों का निर्माण एक तो कछुआ गति से हो रहा है, दूसरे इनके डिजाइन भी इतने जटिल और अव्यावहारिक बनाए गए हैं कि नए पुल यातायात को सुगम बनाने के बजाय वाहन चालकों की परेशानियों में इजाफा ही कर रहे हैं। जरूरी है कि बरेली में पुलों के डिजाइन शहर की भविष्य की सुगम-बाधारहित यातायात जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए जाएं।

गलत डिजाइन वाला आईवीआरआई उपरिगामी पुल ऐसा ही है। अब इसी मार्ग पर डेलापीर का पुल भी प्रस्तावित है। पत्रकार निर्भय सक्सेना ने डेलापीर पुल के निर्माण के लिए जुलाई 2013 से अब तक कई पत्र सांसद-पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार और वन राज्य मंत्री डॉ. अरुण कुमार के मार्फत केंद्र और प्रदेश शासन को भिजवाए। जून 2016 में मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई थी। इसे तत्कालीन प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय अनीता सिंह ने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को 24 जून 2016 को अपनी सकारात्मक टिप्पणी के साथ भेजा था। अब कई वर्ष बाद 2022 में शासन-प्रशासन को डेलापीर पुल निर्माण की याद आई है।

बरेली की बात की जाए तो लखनऊ मार्ग का हुलासनगरा पुल हो या बदायूं रोड का लाल फाटक पुल, जो बन तो कई वर्षो से रहे हैं लेकिन पता नहीं कब तक चालू हो पाएं? यही हाल चौपला पुल का भी है जो बीरबल की खिचड़ी की तरह बन रहा है। बदायूं रोड पर सुगम यातायात के लिए इस पुल को बनाया गया था। लेकिन पुल की गलत डिजाइन के कारण समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है। आज भी चौपुला चौराहे पर दिन में कई-कई बार घंटों लंबे जाम लगते हैं। चौपला पुल का रिवाइज्ड बजट भी हर बार कम ही पड़ जाता है। सुभाष नगर का प्रस्तावित उपरिगामी पुल को भी कई बार से नेताओं का आश्वासन ही मिल रहा है क्योंकि इससे रेलवे को कोई फायदा नही है इसलिए वह पुल रूपी गेंद को लोनिवि या राज्य सरकार की तरफ वापस फेंक देता है। रेलवे अधिकारी अपनी जमीन को ही बचाने में लगे हुए हैं। बदायूं रोड पर करगैना में महेशपुरा रेल क्रॉसिंग पर भी पुल इसलिए जरूरी है क्योंकि आजकल इस रोड पर भी तमाम नई कालोनियों का विस्तार हो रहा है।

अगर बदायूं रोड से ही मढ़ीनाथ या सिटी श्मशान रोड पर पुल बनाकर जोड़ने की पहल बीजेपी के विधायकगण सरकार से कर दें तो एक बहुत बड़ी यातायात की समस्या हल हो सकेगी। बरेली में वर्षो पूर्व बना किला पुल अपनी आयु पूर्ण कर खस्ताहाल हो गया है। आज आवश्यकता इस बात की है कि किला के नए पुल की डिजाइन ऐसी बनाई जाए कि उसका एक छोर सिटी स्टेशन से उठकर दिल्ली रोड पर और दूसरा छोर अलखनाथ रोड की रेल लाइन को पारकर उतर सके। इस पुल का एक छोर सिटी शमशान घाट या मढ़ी नाथ रोड पर भी उतारा जाना चाहिए।

हाल में ही बने हार्टमैन पुल पर भी घटिया निर्माण के चलते सरिया का जाल जगह-जगह कंक्रीट से बाहर निकलकर दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहा है। जिला हॉस्पिटल का फुटओवर पुल भी मरीजों के लिए कितना उपयोगी होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। यह फुटओवर पुल भी प्रस्तावित कुतुबखाना उपरिगामी पुल एवम लाइट मेट्रो में भी भविष्य में चौपला पुल की तरह ही बाधक ही बनेगा। बरेली में पुराने चौपला क्रॉसिंग, सिटी शमशान घाट, हार्टमेन रेल क्रॉसिंग पर अंडरपास की भी आज बहुत जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि जिला परिषद, नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन एवम जनप्रतिनिधियों की एक कोऑर्डिनेशन कमेटी बने। यही कमेटी जिले के नियोजित विकास के लिए आए सुझावों का गुणदोष के आधार पर चयन करे। पत्रकार निर्भय सक्सेना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईमेल भेजकर हर जिले के नियोजित विकास के लिए यह सुझाव दे चुके हैं।