एक तो सब्सिडी बंद कर दी, दूसरे गैस एजेंसियों की मनमानी आसमान पर, गुस्से में हैं लोग

मीरगंज-बरेली, सत्य पथिक न्यूज नेटवर्क: डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में आएदिन की बेहताशा बढ़ोतरी ने आम जनता की कमर तोड़कर रख दी है। निम्न मध्य वर्गीय परिवारों की गृहणियों की रसोई में तो मानों आग ही लग गई है।

महीने की छोटी सी कमाई का अधिकांश हिस्सा तो पति महोदय की बाइक में पेट्रोल डलवाने में ही साफ हो जाता है। बाकी रुपये गैस सिलेंडर मंगवाने में निकल जाते हैं। दुनका और आसपास गांवों की गरीब किसान-मजदूर परिवारों की घरेलू महिलाएं लक्ष्मी देवी, ओमादेवी, मीना देवी, रेशमवती, रेनू देवी, सुमित्रा देवी आदि महिलाओं ने रसोई गैस की कीमतें अनाप-शनाप बढ़ने पर गहरी नाराजगी जताई है।

इन महिलाओं का साफ कहना है कि पिछले माह जनवरी तक एलपीजी सिलेंडर 712 रुपये के वास्तविक रेट के बजाय 715 से725 तक का एजेंसी वाले दे रहे थे। 18 रुपये सब्सिडी के नाम पर किसी-किसी के अकाउंट में आए हैं जबकि बाकियों की सब्सिडी भी इस सरकार में खत्म कर दी गई है। गरीब परिवार का पेट आखिर कैसे पाले और कैसे बच्चों को पढ़ाए-लिखाए?

15 फरवरी 2021 की आधी रात से सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ गई। यानि 762 रुपये का मिलना चाहिए लेकिन एजेंसी वाले मोबाइल पर मैसेज में रेट दर्ज कर रहे हैं 787 रुपये और वसूल रहे हैं सीधे 790 रुपये या फिर पूरे 800 रुपये। ये महिलाएं बताती हैं कि फ्री होम डिलीवरी तो अब जैसे बीती बात हो गई है।

गैस वाले भइया घर पर सिलेंडर पहुंचाने के एवज में 10 से 20 रुपये एक्स्ट्रा वसूल रहे हैं। 800 रुपये का सिलेंडर और ऊपर से सब्सिडी भी गायब, गृहस्थी के बजट में आग नहीं लगेगी तो और क्या होगा? यही हाल रहा तो खाली सिलेंडर कोने में फेंककर दुबारा चूल्हे के धुएं में आंखें फोड़नी पड़ेंगी।

उधर, सतीश गंगवार, रघुनंदन प्रसाद, महेश चन्द्र, रामस्वरूप, हेतराम, ओमकार शर्मा, बेचे सिंह, चुन्नीलाल, होरीलाल आदि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगने से दुखी हैं। कहते हैं कि मोटरसाइकिल अब किसान से लेकर मजदूर, नौकरपेशा, व्पापारी और फेरी लगाने वाले छोटे दुकानदारों की जरूरत का हिस्सा बन चुके हैं।

कोरोना काल के बाद जहां बड़े से लेकर छोटे और कुटीर उद्योग धंधे तक अब रफ्तार पकड़ने लगे हैं और जाहिराना तौर पर उनमें पेट्रोल-डीजल की खपत भी काफी बढ़ गई है तो ऐसे में होना तो यह चाहिए कि सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी गिरावट करके हर तबके को प्रोत्साहित करे ताकि अर्थव्यवस्था एक बार फिर कुलांचे भर सके लेकिन यहां तो पेट्रोल 90 रुपये लीटर के पार उड़ान भरने को बेताब है।

सब अल्टीमेटम भरे लहजे में कहते हैं कि सरकार अब भी नहीं चेती तो अगले चुनाव में सिर्फ मोदी के जादू के दम पर उसकी वापसी मुश्किल भी हो सकती है। उससे भी पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में आम जनता के गुस्से का कहर यूपी की योगी सरकार को झेलना पड़ सकता है।

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