दिन में सुप्रीम कोर्ट ने आयोजन की अनुमति देने से कर दिया था इन्कार, सुनाया था दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का फैसला
सत्य पथिक वेबपोर्टल/बेंगलुरु/Karnataka HighCourt’s Big Decision: कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार देर रात अपने फैसले में बेंगलुरु शहर के हुबली ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी के आयोजन की अनुमति दे दी है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गणेश चतुर्थी के जश्न की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार की उस दलील को नकार दिया कि ईदगाह वाली प्राॅपर्टी विवादित है।

हालांकि इससे पहले मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। साथ ही विवाद के निपटारे के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट जाने का निर्देश भी दिया था। इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। हाईकोर्ट के जस्टिस अशोक किनागी के चैंबर में रात दस बजे इस मामले में सुनवाई हुई।

इससे पहले चीफ जस्टिस यूयू ललित के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एम एम सुंदरेश की तीन जजों वाली बेंच ने शाम चार बजकर 45 मिनट पर स्पेशल हियरिंग (विशेष सुनवाई) में फैसला सुनाया था कि पूजा कहीं और की जाए। ‘‘रिट पीटिशन हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में पेंडिंग है और सुनवाई के लिए 23 सितंबर, 2022 की तारीख तय हो चुकी है। सभी सवाल/विषय हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान उठाए जा सकते हैं।’’
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने SC के ही पुराने फैसले का हवाला देते हुए दलील दी थी कि HC की सिंगल जज बेंच ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था लेकिन खंडपीठ ने गणेश पूजा के लिए इजाजत दे दी। यह तो पिछले 200 साल से वक़्फ़ की सम्पत्ति है। यहाँ किसी और धर्म के फंक्शन की इजाज़त नहीं दी जा सकती। सिब्बल ने कहा कि 1831 से यह मैदान वक्फ की मिल्कियत है और वक्फ के ही कब्जे में भी है। अब 2022 में अचानक वहाँ धार्मिक आयोजन की इजाजत क्यों दे दी गई जबकि अगले ही साल कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं। वकील दुष्यंत दवे ने भी वक्फ बोर्ड की तरफ से कुछ जरूरी दलीलें रखीं। उन्होंने दोटूक कहा कि ये प्रॉपर्टी मेरी है. मैं किसी को दूं मेरी मर्जी। कोर्ट किसी को अपने ऑर्डर के जरिए इसके इस्तेमाल की इजाजत कैसे दे सकता है? यह वक्फ की संपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक जब मेरे धर्म की धार्मिक गतिविधियां ईदगाह में होती हैं तो दूसरे समुदाय को यहां धार्मिक आयोजन की इजाजत कैसे दी जा सकती है? क्या मुस्लिम समुदाय को हिंदू ट्रस्ट के स्वामित्व वाले मैदान में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है? सरकार अब कह रही है कि प्रॉपटी पर मालिकाना हक को लेकर विवाद है लेकिन आप 200 साल बाद मालिकाना हक़ का दावा नहीं कर सकते। क्या किसी हिंदू धार्मिक परंपराओं के लिए इस्तेमाल हो रही ज़मीन पर मुस्लिम समुदाय को ऐसी इजाज़त दी जा सकती है?



दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को ही कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सेंट्रल मुस्लिम एसोसिएशन ऑफ कर्नाटक व कर्नाटक वक्फ बोर्ड की अपील पर सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का फैसला दिया था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 26 अगस्त को राज्य सरकार को चामराजपेट में ईदगाह मैदान का इस्तेमाल करने के लिए बेंगलुरु (शहरी) के उपायुक्त को मिले आवेदनों पर विचार करके उचित आदेश जारी करने की अनुमति दी थी।