





सत्य पथिक वेबपोर्टल/नई दिल्ली- श्रीनगर/Congress shocked again: जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस का बड़ा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री गुलामनबी आज़ाद ने पार्टी हाईकमान को तगड़ा झटका देते हुए मंगलवार को तीन घंटे के भीतर ही नवगठित प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है कि आज़ाद ने यह कदम पार्टी नेतृत्व से कई मुद्दों पर गहरी नाराज़गी के चलते उठाया है।

बता दें कि कांग्रेस नेतृत्व ने कल मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए गुलाम नबी आजाद को प्रचार समिति का अध्यक्ष और उनके करीबी विकार रसूल बानी को जम्मू-कश्मीर कांग्रेस का नया प्रमुख बनाया दिया था। लेकिन चंद घंटों बाद ही आजाद ने प्रचार समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर कांग्रेस हाईकमान को भौंचक्का कर दिया है।
दुबारा क्यों उठाया मुखालफत का झंडा?
पहले तो आज़ाद की तरफ से इस्तीफे का कोई कारण स्पष्ट नहीं किया गया, लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देने की बात कही गई। हालांकि जम्मू से वरिष्ठ कांग्रेस नेता अश्विनी हांडा ने आज़ाद के इस्तीफे की असल वजह बता दी है। हांडा की मानें तो कांग्रेस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लिए जिस प्रचार कमेटी का गठन किया है, उसमें ज्यादातर बड़े जमीनी नेताओं को तवज्जो नहीं दी गई है। एक तरह से इन सबके साथ भारी अन्याय हुआ है। आजाद भी इस नई कमेटी में बड़े जमीनी नेताओं को नकारे जाने से संतुष्ट नहीं थे। इसीलिए उन्होंने इस्तीफा देकर हाईकमान के सामने खतरे की घंटी बजा दी है।
बगावत के बड़े तूफान का इशारा तो नहीं यह इस्तीफा?
जी-23 के जरिए पहले ही कांग्रेस हाईकमान कमान के कई फैसलों के खिलाफ बगावती तेवर दिखाते रहे आज़ाद के इस्तीफे और हांडा के बयान को सियासी जानकार पार्टी के अंदर बगावत का एक और नया तूफान उमड़ने का साफ इशारा बता रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने क्या किया था फेरबदल?
मंगलवार को कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी संगठन को मजबूती देने के इरादे से बड़ा बदलाव किया था। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को राज्य की कांग्रेस प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष और तारिक हामिद कर्रा को उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। आज़ाद को राजनीतिक मामलों की समिति और समन्वय समिति का प्रमुख भी बनाया गया था। वहीं घोषणापत्र समिति का प्रमुख प्रो. सैफुद्दीन सोज और उपाध्यक्ष अधिवक्ता एमके भारद्वाज को बनाया गया था। प्रचार और प्रकाशन समिति के अध्यक्ष पद पर मूला राम नियुक्त हुए थे। लेकिन गुलाम नबी के इस्तीफे और उसके बाद शुरू हुई इस बयानबाजी ने श्रीनगर घाटी में कांग्रेस की चुनौतियां और ज्यादा बढ़ा दी हैं।