संपादकीय
अपनों से अपनी बात
शुभ प्रभात मित्रों,
अभिनंदन, शत-शत अभिनंदन!
सुबह सवेरे का प्रथम प्रणाम उन सभी महान कोरोना महायोद्धाओं को, जिन्होंने अपने दुधमुंहे बच्चों, बीमार सास-ससुर को घर पर छोड़कर परिवारों की रोजमर्रा की तमाम जरूरतों की परवाह किये वगैर जान हथेली पर रखकर अपनी ड्यूटी करते हुए कोरोना संदिग्धों की निरंतर सेवा की। यहां तक कि कई बार तो लॉकडाउन के दौर में अफवाहों में फंसे लोगों से तिरस्कार, अपमान, गाली-गलौज, पथराव तक झेलना पड़ा। कोरोना रोगियों के संपर्क में आकर कइयों को खुद भी पिछले 100 साल की इस सबसे भयंकर वैश्विक महामारी की चपेट में आकर पखवाड़े भर या तीन हफ्ते तक आशंकाओं, अन्जाने भय और फिजा में तैरती डरावनी अफवाहों के बीच अस्पताल या घर के कमरों में समाज, परिवार से कटकर क्वारंटीन होना पड़ा। ऐसे सभी कोरोना फ्रंटलाइन हेल्थ वारियर्स का हृदय की अतल गहराइयों से स्वागत है। इन सभी कोरोना महायोद्धाओं का हर शहर, गांव की गलियों-मोहल्लों में कृतज्ञ माताओं, बहनों, भाइयों और बुजूर्गों द्वारा रोली-अक्षत-चंदन के माथों पर टीके लगाकर और पुष्प वर्षा करके स्वागत-अभिनंदन होना ही चाहिए।
लेकिन जरा ठहरिए, 10 महीने से भी ज्यादा अरसे तक वैश्विक महामारी का कहर झेलने और डेढ़ लाख से भी ज्यादा बेशकीमती जिंदगियां गंवाने के भीषण त्रासदी भरे दौर से बाहर निकलकर अब जब नये साल के पहले ही दिन भारत के समर्थ चिकित्सा विज्ञानियों ने एक नहीं, दो टीके विकसित कर अब तक का सबसे बड़ा कोरोना टीकाकरण अभियान का श्रीगणेश भी कर दिया है और प्रथम चरण में भारत सरकार सर्वाधिक उच्ज जोखिम वाले तीन करोड़ से भी ज्यादा सरकारी, प्राइवेट स्वास्थ्य कर्मियों को महंगी वैक्सीन पूर्णतः नि:शुल्क लगवा रही है तो यह सोचना भी शर्मनाक है कि महज अफवाहों में फंसकर तमाम जगहो पर बहुत से हेल्थ वर्कर्स वैक्सीन लगवा ही नहीं रहे हैं। हाई कोल्ड चेन में स्टोर की गई 10 लोगों को लगने वाली कीमती वैक्सीन की वॉयल की कोल्ड चेन वैकसीनेशन सेंटरों पर पर्याप्त हेल्थ वर्कर लाभार्थी उपलब्ध नहीं हो पाने से मेनटेन नहीं रह पा रही है और महंगी जीवन रक्षक वैक्सीन खराब हो जा रही है। प्लीज…प्लीज… प्लीज! अखिलेश यादव जैसे अवसरवादी नेताओं और अफवाहबाजों के बहकावे में न आकर रोली-कुंकुम-अक्षत-चंदन के टीके अपने माथों पर सजाने से पहले कोरोना का टीका अवश्य लगवाकर अपने और अपनों के जीवन को सुरक्षा कवच से सुरक्षित करना ही चाहिए। समझदारी इसी में है। मत भूलिये कि दोनों स्वदेशी टीके कोवैक्सीन और कोविशील्ड पूर्णत: सुरक्षित और विश्व-भारत के जाने-माने चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा पूरी तरह जांचे-परखे हुए हैं।
गणेश ‘पथिक’
मुख्य संपादक

