Honour to dedication: सम्मान से खुश सुरेश बोले-स्थापना काल से ही पार्टी के साथ, लोभ- लालच भी डिगा नहीं पाए

गणेश ‘पथिक’
सत्य पथिक, बरेली: अटूट निष्ठा और कर्मठता को देर-सवेर Honour to dedication स्वीकृति और सम्मान मिलता ही है। सपा के मीरगंज विधानसभा क्षेत्र के मौजूूूदा अध्यक्ष और पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रहे तेजतर्रार-जुझारू और जमीन से जुड़े नेता सुरेश गंगवार को भी पार्टी से दशकों पुराने, गहरे जुड़ाव और अच्छे-बुरे वक्त में साथ न छोड़ने की उनकी जिद और अटूट निष्ठा का पुरस्कार आखिरकार मिल ही गया है।

सपा सुप्रीमो के हाथों सम्मानित होने पर सुरेश खुश

बरेली से सड़क मार्ग से दिल्ली जा रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने गुजरे दिन मीरगंज में रुककर विधानसभा अध्यक्ष सुरेश गंगवार से गर्मजोशी से मुलाकात की और पार्टी के प्रति उनके गहन समर्पण भाव को देखते हुए उनकी दिल खोलकर तारीफ की। इससे पहले बरेली में पार्टी के स्थापना दिवस पर बरेली मंडल के कार्यकर्ता सम्मेलन में शॉल उढ़ाकर सुरेश गंगवार को सम्मानित भी किया। इस दौरान सपा सुप्रीमो ने मंच से दावा भी ठोंका कि सुरेश जैसे ही अनगिनत कर्मठ-जुझारू-समर्पित सेनानियों के बलवूते 2022 विधानसभा चुनावी महासमर में सपा जनविरोधी योगी सरकार को भारी बहुमत से हराकर उत्तर प्रदेश की सत्ता में धमाकेदार वापसी जरूर करेगी।

छात्र जीवन से ही रहे हैं मीरगंज में सपा के सिपहसालार

राष्ट्रीय अध्यक्ष के हाथों से सम्मानित होने पर बहुत खुश दिख रहे सुरेश गंगवार ने बताया कि छात्र जीवन में पार्टी की स्थापना के समय से ही वे समाजवादी पार्टी का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने भी मीरगंज दौरे के वक्त जुझारू तेवरों को देखते हुए उनकी पीठ थपथपाई थी। साथ ही कई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों से भी नवाजते रहे हैं।

विरोधियों के इल्जामों से रहते हैं बेपरवाह

विरोधी हालांकि सुरेश की कार्यशैली पर उंगलियां उठाते हुए शासन तक शिकायतें भी करते रहे है। पारिवारिक झगड़े के एक मामले में जेल की हवा भी खानी पड़ी थी लेकिन अलमस्त सुरेश मुखालिफों और उनके संगीन इल्जामात से एकदम बेपरवाह सपा के मजबूत सिपहसालार बनकर मीरगंज में वर्षों से पूरे दमखम से डटे हैं।

सुख-दुख में डटे रहे पार्टी के साथ

सुरेश बताते हैं कि लंबे राजनीतिक जीवन में पार्टी में कई उतार-चढ़ाव आए। तमाम बड़े नेता आते-जाते रहे। पार्टी बदलने पर ऊंचे ओहदे और सुख-सुविधाओं के लुभावने ऑफर भी कई मर्तबा आए लेकिन उन्होंने तवज्जो नहीं दी। दरअसल वे सपा को पार्टी नहीं, अपना परिवार मानते हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा की भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कराने के बड़े मिशन की तैयारियों में सभी साथियों के साथ अभी से पूरी ताकत से जुट गए हैं।

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