Private sector में काम करने वाले लोगों को ज्यादातर समय नौकरी जाने का डर सताता रहता है। अगर नौकरी अचानक से चली जाए तो लिए हुए लोन की EMI कैसे चुकाई जाएगी। अगर आप ऐसा सोचते है तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे में इंश्योरेंस पॉलिसी काफी मददगार साबित हो सकती है।

नौकरी जाने के समय मध्यम वर्ग के लोगों के पास कुछ ऐसे ऑप्शन होने चाहिए जिनकी मदद से वे अचानक आने वाली आर्थिक मुश्किलों से खुद को सुरक्षित रख सकें। अधिकांश मध्यम वर्ग परिवारों पर लोन (Loan) का बोझ होता है जिसके लिए वो नियमित मासिक किश्त चुकाते हैं। ऐसे में इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance Policy) काफी मददगार साबित हो सकती है।
लॉस ऑफ जॉब/इनकम इंश्योरेंस (Loss of Job/income Insurance) स्वयं को ऐसी मुसीबतों से सुरक्षित बनाने का काम करती है। इसे बाजार में ‘जॉब लॉस इंश्योरेंस’ (Job loss insurance) कवर के नाम से जानते हैं। कई कंपनियां इस तरह की पॉलिसी ऑफर करती हैं।
क्या है ये जॉब लॉस इंश्योरेंस और क्या है इसके फायदे
इसके तहत नौकरीपेशा और खुद का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए कई अलग-अलग प्लान के साथ उनके अलग फायदे भी मौजूद हैं। नौकरी से निकाले जाने या कर्मचारियों की छंटनी के कारण हुए आमदनी के नुकसान की स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी तीन महीनों तक ग्राहक के लोन की किश्तें चुकाती है (किश्त की राशि ग्राहक की मौजूदा ईएमआई के आधार पर होगी)।

लाभार्थी को 1 लाख प्रति सप्ताह तक वेतन मिल सकता है
आंशिक या स्थाई विकलांगता की स्थिति में इंश्योरेंस कवरेज प्राप्त व्यक्ति को साप्ताहिक वेतन लाभ मिलता है, जो रु. 1 लाख प्रति सप्ताह तक हो सकता है (ग्राहक के शुद्ध वेतन पर आधारित) और यह अधिकतम 100 सप्ताह तक दिया जाएगा। कुछ प्लान ऐसे भी हैं जो गंभीर बीमारी, आंशिक स्थाई अपंगता या आंशिक अस्थाई अपंगता के लिए कवरेज देते हैं. इस प्लान को खरीदने पर ग्राहक अपनी पॉलिसी के लिए चुकाए गए प्रीमियम के एवज में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 (डी) के तहत टैक्स छूट का लाभ भी उठा सकते हैं।
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