आज (रविवार) को मन की बात (MANN KI BAAT) कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) फॉर लोकल ये आज घर-घर में गूंज रहा है ऐसे में अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि हमारे उत्पाद विश्ववस्तरीय हों। जो भी ग्लोबल बेस्ट है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। इसके लिए हमारे उद्यामी साथियों को आगे आना है। स्टार्टअप को भी आगे आना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने MANN KI BAAT में कहा कि आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया।
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भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करें
पीएम ने कहा कि आप हर साल नए साल पर रिज़्योल्यूशन लेते हैं, इस बार एक रिज़्योल्यूशन अपने देश के लिए भी जरूर लेना है। उन्होंने MANN KI BAAT में आगे कहा कि हम दिन भर जो चीजें काम में लेते हैं उन सभी चीजों की विवेचना करें और ये देखें कि अनजाने में कौन-सी विदेश में बनी चीजों ने हमारे जीवन में प्रवेश कर लिया है। इनके भारत में बने विकल्पों का पता करें और ये तय करें कि हम आगे से भारत में बने उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे।
भारत में तेंदुओं की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक, शेरों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। तेदुओं की सबसे ज्यादा आबादी मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में है। पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है।
हर संकट से नए सबक लिए
MANN KI BAAT में पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चेन को लेकर अनेक बाधाएं आई, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए। देश में नया सामर्थ्य भी पैदा हुआ। अगर शब्दों में कहना है तो इस सामर्थ्य का नाम है ‘ आत्मनिर्भरता’।
कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध
कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। यह अत्यंत सुगन्धित होता है, इसका रंग गाढ़ा होता है और इसके धागे लंबे व मोटे होते हैं। जो इसकी औषधीय मूल्य को बढ़ाता है। वहीं, पीएम ने गीता जयंती का जिक्र करते हुए कहा कि गीता की ही तरह, हमारी संस्कृति में जितना भी ज्ञान है सब जिज्ञासा से ही शुरू होता है। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’, अर्थात आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। इसलिए तो हमारे यहां ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है। जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है।
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