सत्य पथिक वेबपोर्टल/बर्मिंघम-इंग्लैंड/India in CWG: मनप्रीत सिंह की अगुआई में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पूल-बी के अपने तीसरे मैच में कनाडा को 8-0 से रौंद दिया है। टीम इंडिया के लिए छह खिलाड़ियों ने गोल दागे। हरमनप्रीत सिंह और आकाशदीप सिंह ने सबसे ज्यादा दो-दो गोल दागे। अमित रोहिदास, ललित उपाध्याय, गुरजंत सिंह और मनदीप सिंह ने भी भारत के लिए एक-एक गोल किया।

भारतीय पुरुष टीम पूल-बी में टाॅप पर
इस जीत के साथ ही भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने सेमीफाइनल के लिए अपना दावा मजबूत कर लिया है। कनाडा के खिलाफ जीत के बाद टीम इंडिया फिलहाल अपने ग्रुप (पूल-बी) में पहले नंबर पर पहुंच गई है। भारत के तीन मैचों में 7 अंक हैं। टीम इंडिया ने अपना पहला मैच घाना के खिलाफ 11-0 से जीता था, जबकि इंग्लैंड के खिलाफ टीम को 4-4 से ड्रॉ खेलना पड़ा था। इंग्लैंड की टीम पूल बी में दूसरे स्थान पर खिसक गई है। इंग्लैंड को शीर्ष पर फिर से जगह बनाने के लिए अपने अगले मैच में कनाडा के खिलाफ 12-0 से जीत हासिल करनी होगी। वेल्स पूल-बी में तीसरे स्थान पर है।

वहीं, पूल-ए में ऑस्ट्रेलियाई टीम छह पॉइंट के साथ टॉप पर है। दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के समान 4-4 अंक हैं, लेकिन बेहतर गोल डिफ्रेंस की वजह से दक्षिण अफ्रीका दूसरे और न्यूजीलैंड तीसरे स्थान पर है। पाकिस्तान की टीम पूल-ए में एक अंक के साथ चौथे स्थान पर है।

स्वर्ण पदक है निशाने पर
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में पहला स्वर्ण पदक जीतने के अभियान में घाना के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की। हालांकि, इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ 3-0 की बढ़त हासिल करने के बाद 4-4 से ड्रॉ खेलना पड़ा था। हालांकि, कनाडा पर जीत से भारत ने भरपाई कर ली है। कप्तान मनप्रीत की अगुआई में भारत ने पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीता था। इस बार टीम मनप्रीत की अगुआई में राष्ट्रमंडल खेलों में ऑस्ट्रेलियाई दबदबे को खत्म करना चाहती है। ऑस्ट्रेलिया ने अब तक सभी छह स्वर्ण पदक जीते हैं।

पदक के सूखे को खत्म कर पाएगी भारतीय टीम?
गोल्ड कोस्ट में 2018 काॅमनवेल्थ गेम्स में पदक नहीं जीत सकी भारतीय टीम सफलता की भूखी है। भारत ने 2010 और 2014 में रजत पदक जीता था। पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलियाई मुख्य कोच ग्राहम रीड के मार्गदर्शन में भारतीय टीम ने अपने आप में काफी सुधार किया है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसे कड़े प्रतिद्वंद्वियों की चुनौती से पार पाना है।