पहले चरण में हिमाचल प्रदेश में छापों में कई इकाइयों में मिलीं गड़बड़ियां, निर्माण बंद कराया, नोटिस थमाए
सत्य पथिक वेबपोर्टल/नई दिल्ली/Sergical Strike against fake Pharma Companies: ट्रेडमार्क के उल्लंघन, बिना बिल के दवाईयां बेचने, बिना रसीद के कच्चा माल खरीदने और गुणवत्ता अनुपालन को ताख पर रखकर नकली दवाओं के निर्माण और विपणन में जुटी फार्मा कंपनियों के विरुद्ध भारत सरकार ने बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक Sergical Strike की है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहीं फार्मा कंपनियों पर नकेल कसने के मकसद से यह कदम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया की अगुवाई में उठाया गया है। जोखिम आधारित नजरिए के अनुसार चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों में ऑडिट और छापेमारी के लिए राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन के साथ समन्वय बनाते हुए छह टीमें गठित की गई है।
इसके साथ ही शीर्ष दवा विनियमन निकाय, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) में भी दो संयुक्त दवा नियंत्रकों की एक समिति गठित की गई है। निरीक्षण, रिपोर्टिंग और बाद की कार्रवाई की प्रक्रिया की निगरानी के लिए
भारत सरकार ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब कुछ ही दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा एक भारतीय दवा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स को उन दवाओं के निर्यात का दोषी ठहराया गया था, जिसकी वजह से कथित तौर पर गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई है।
इस सर्जिकल स्ट्राइक के तहत भारत में दवा निर्माण में प्रमुख
स्थान रखने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश में अब तक 12 से अधिक इकाइयों पर छापा मारा भी जा चुका है। हालांकि यहां कई और निरीक्षण किए जाने बाकी हैं।
हिमाचल प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने बताया, ‘उन कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं, जहां दवा निर्माण की प्रक्रिया का उल्लंघन पाया गया है। एक यूनिट में तो मैन्युफैक्चरिंग पूरी तरह से बंद भी करवा दी गई है।’ मारवाह ने फिलहाल डिफॉल्टर कंपनियों का नाम साझा करने से इन्कार कर दिया, हालांकि उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकांश फर्म ‘छोटे और मध्यम उद्यम’ हैं। इन सबके यहां बिना चालान के दवाओं को बेचा जा रहा था। हिमाचल प्रदेश सहित पूरे भारत में दवा निर्माता कंपनियों के विरुद्ध निरीक्षण, आडिट, छापेमारी का व्यापक अभियान अभी भी जारी है।
एक भरोसेमंद सरकारी सूत्र ने बताया कि ‘जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन करने वाली हिमाचल की एक कंपनी सोलन इन्हें बिना चालान (इनवॉइस) के बेच रही थी और यहां तक कि एपीआई (कच्चे माल) की खरीद भी बिना बिल लिए कर रही थी।’ इस सूत्र ने हिमाचल में एक और फर्म के बारे में बताते हुए कहा, ‘यह कंपनी टॉप ब्रांडों के नाम पर कई ब्रांड बनाती है, जो ट्रेडमार्क का उल्लंघन है और इन दवाइयों को नकली माना जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘फर्म के मालिक का नाम हाल ही में एक बड़े रिश्वतखोरी विवाद में भी आया है।’