एक्सपर्ट्स का अल्टीमेटम-फौरन नया निर्माण नहीं रोका तो आएगी तबाही की सुनामी
सत्य पथिक वेबपोर्टल/नैनीताल-उत्तराखंड/natural disaster: खूबसूरत पहाड़ों और सात तालों, अनगिनत झीलों-झरनों वाला देशी-विदेशी सैलानियों को लुभाता रहा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल एक बार फिर भयंकर खतरे में है। नैनीताल के तीन तरफ से पहाड़ियां दरक रही हैं, गिर रही हैं और बड़े चूना पत्थर झील में समा रहे हैं।
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पहाड़ियों की भार झेलने की क्षमता खत्म हो चुकी है। अगर नैनीताल में निर्माण कार्य फौरन रोके नहीं गए तो इस खूबसूरत पर्यटक शहर को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। पहाड़ तो खत्म होंगे ही, झीलें भी खत्म हो जाएंगी। नैनी झील के तीन तरफ पहाड़ियां दरक रही हैं और दो तरफ शहर दिख रहा है। अगर ज्यादा मात्रा में पत्थर या भूस्खलन का मलबा झील में गिरा तो शहर में पानी सुनामी की तरह घुसेगा जो सब कुछ बहा ले जाएगा।

अंग्रेजों ने साफ-सुथरे वातावरण और सभी सुविधाओं से युक्त नैनीताल शहर को बसाया था। यहां का हवा-पानी सेहत के हिसाब से बेहतरीन था। अंग्रेजों ने तो अधिकतम आबादी भी तय कर रखी थी क्योंकि उन दिनों भी यह इलाका भूगर्भीय उलट-पुलट की वजह से बेहद संवेदनशील था। नैनीताल का मॉल रोड तो शुरुआत से ही काफी नाजुक इलाके पर बसा है। ऐसे में 1880 में आए विनाशकारी भूस्खलन के दर्दनाक इतिहास को जरूर याद रखना चाहिए।
18 सितंबर, 1880 को नैनीताल की आबादी 10 हजार से भी कम थी। तब नैनीताल की सात नंबर या अल्मा पहाड़ी पर भयानक भूस्खलन हुआ था। उस भयावह प्राकृतिक आपदा में 43 ब्रिटिश नागरिकों समेत 151 लोगों की मौत हो गई थी। नैनीताल के इतिहास का सबसे दर्दनाक दिन गिना जाता है इसे।
नैनीताल में 24 जुलाई 2022 रविवार को 1 घंटे की मूसलाधार बारिश के बाद अल्मा हिल यानी सात नंबर पहाड़ी पर फिर बड़ा भूस्खलन हुआ।50 मीटर के दायरे में पहाड़ी दरक गई। इसकी चपेट में कई मकान आ गए। स्नो व्यू का रास्ता भी बर्बाद हो गया। मार्ग के कई पेड़ उखड़ गए। इसके बाद से इस इलाके में दहशत का माहौल बना हुआ है। दर्जनभर से अधिक परिवार दिक्कतों में घिरे हैं।

बलिया नाला पर भी मंडरा रहा है बड़ा खतरा
नैनीताल शहर के आधार बलिया नाला के जलागम क्षेत्र में जीआईसी इंटर कॉलेज के नीचे भी भारी भूस्खलन जारी है। इस दौरान कई घर बलिया नाले में समा चुके हैं। भूस्खलन ने अब राजकीय इंटर कॉलेज तल्लीताल की सीमा को छू लिया है। किसी भी समय भूस्खलन से ये पूरा इलाका बलिया नाले में समा सकता है। बलिया नाला क्षेत्र में 1972 से लगातार भूस्खलन हो रहा है। इसके बावजूद सरकार इस क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने में असफल रही है। लिहाजा अब नैनीताल के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। बलिया नाला क्षेत्र को नैनीताल की बुनियाद माना जाता है.
नैनीताल की अयारपाटा हिल पहाड़ी में डीएसबी कॉलेज के पास भी भूस्खलन हो रहा है और बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इससे डीएसबी कॉलेज के केपी और एसआर महिला छात्रावास को भारी नुकसान हुआ है। इस भूस्खलन से मलबा और भारी बोल्डर आए दिन नैनी झील में गिर रहे हैं। शेर का डंडा पहाड़ी में भी इस मूसलाधार बरसात में 18 अक्टूबर 2021 की रात 1 बजे भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे पहाड़ी से भारी बोल्डर और पेड़ मलबे के साथ बहते हुए आए थे।
नैनी झील के तीन तरफ दरक रहीं पहाड़ियां
नैनीताल झील तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है। ऊपर मल्लीताल की तरफ नैना पीक, एक तरफ अयारपाटा पहाड़ी, दूसरी तरफ शेर का डांडा पहाड़ी और नीचे तल्लीताल की तरफ बलिया नाला। अब बलिया नाले के साथ-साथ इन दोनों पहाड़ियों में भूस्खलन नैनीताल के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
बलिया नाले से निकल रहा पीला पानी
कुमाऊं यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी के यूजीसी शोध वैज्ञानिक और राष्ट्रीय भूविज्ञान अवॉर्ड प्राप्त कर चुके प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया बताते हैं- भूविज्ञान की दृष्टि से ओल्ड बलिया नाला आलूखेत के बगल से या कैलाखान के नीचे से शुरू होकर बीरभट्टी तक जाता है। पहाड़ों में भूस्खलन और भारी तादाद में पानी, मलबा बहकर आने से चूने की चट्टानों में गुफाएं बन गई हैं। पीले रंग का पानी निकल रहा है। इसे वैज्ञानिक भाषा में ऑक्सीडेशन रिडक्शन कहते हैं। चार साल पहले बलिया नाले में पीला पानी निकला था, यह उसी का नतीजा है।
हर साल 60 सेमी से 1 मीटर तक खिसक रहा है
प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया ने बताया कि हमारी रिसर्च है कि ओल्ड बलिया नाला हर वर्ष 60 सेंटीमीटर से एक मीटर खिसक रहा है। ये भयानक स्थिति है. इसे हम समझ नही पा रहे। जिस दिन ये पूरा का पूरा धंस गया उस दिन ज्योलिकोट का पूरा इलाका भी धंस जाएगा। एक बहुत भयंकर अस्थाई झील बन सकती है. जहां भी अंडर कटिंग हो रही है उस पानी को और हरिनगर के पानी को टैप करके सीधा नैनी झील में ला सकते हैं। आपको पानी के लिए कोसी नदी, शिप्रा नदी जाने की जरूरत नहीं है। हरिनगर के पानी को टैप करिए जहां से अंडर कटिंग हो रही है। ओल्ड बलिया नाला लैंडस्लाइड से पानी को लिफ्ट कर लीजिए। फिर नैनीताल में पानी की कमी भी नहीं होगी।
नैनीताल में बड़ी भूगर्भीय फॉल्ट लाइन एक्टिव
प्रो. कोटलिया ने बताया कि जब डीएसबी कॉलेज के पास बड़ा भूस्खलन हुआ था तभी राजभवन से डीएसबी गेट, ग्रैंड होटल और आगे सात नंबर तक फॉल्ट लाइन एक्टिव हो गई थी। मैंने मीडिया के जरिए बड़े खतरे से आगाह भी किया था। कैरिंग कैपेसिटी नहीं होने का हवाला देते हुए डीएसबी गेट के ऊपर निर्माण नहीं होने देने की हिदायत भी दी थी लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। नैनीताल जिला प्रशासन के आग्रह पर मैंने वर्ष 2012 में राजभवन को रिपोर्ट भेजकर भी मैंने इस समस्या को उठाया था। लगातार दो-तीन साल से इस जोन के ऊपर एक्टिव फॉल्ट बना हुआ है। प्रो. कोटलिया ने प्रशासन को सबसे पहले मॉल रोड और फिर पूरे नैनीताल में नए निर्माण पर सख्ती से रोक लगानी होगी।
इतिहासकार डॉ. अजय रावत कहते हैं कि नैनीताल में सबसे बड़ा संकट है भूस्खलन का। दुर्भाग्य यह है यह जितने नाले हैं, जिन्हें हम लाइफ लाइन कहते हैं उनके ऊपर भी अवैध निर्माण हो रहे हैं। इस निर्माण का पता प्रशासन को भी है, जनता भी जानती है. बिल्डर भी जानते हैं लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
डॉ. रावत ने बताया कि 2006 में उत्तराखंड सरकार ने भी एक सम्मेलन में स्वीकारा था कि नैनीताल शहर की कैरिंग कैपेसिटी यानी भार सहने की क्षमता खत्म हो गई है। अब निर्माण नहीं होना चाहिए लेकिन 2022 आ गया। आज भी निर्माण हो रहा है। जिस क्षेत्र को पहले की यूपी और बाद में उत्तराखंड सरकार ने असुरक्षित घोषित कर निर्माण प्रतिबंधित किया था, वहां पर बड़े-बड़े होटल बन गए हैं। अब भी निर्माण हो रहा है।
नैनीताल में तीन जगहों पर बढ़ा भूस्खलन
पर्यावरणविद् और प्रो. डॉक्टर गिरीष रंजन तिवारी कहते हैं कि बलिया नाला क्षेत्र में पिछले लंबे समय से भूस्खलन हो रहा है। बलिया नाला क्षेत्र नैनीताल की जड़ है। यह धीरे-धीरे भूस्खलन से उखड़ रही है। यह भूस्खलन राजकीय इंटर कॉलेज तक पहुंच गया है। अगर इसके बाद कोई बड़ा भूस्खलन हुआ तो नैनीताल का यह इलाका पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा। पश्चिम की तरफ शेर का डंडा पहाड़ी और इसके ठीक सामने अयारपाटा पहाड़ी पर भी में भूस्खलन हो रहे हैं।
होटल मालिक भी नया निर्माण रोकने के पक्ष में
नॉर्थ इंडिया होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रवीण शर्मा कहते हैं नैनीताल में जो भूस्खलन हो रहा है खासकर सात नंबर, शेर का डंडा और डिग्री कॉलेज की पहाड़ी पर इसका सबसे बड़ा कारण हम लोग हैं। इस समय हर तरह के निर्माण को पूरी तरह सख्ती से रोकना जरूरी है। नहीं तो यह शहर नहीं बचेगा, यहां का पर्यटन भी नहीं बचेगा।