Category: संपादकीय

स्मृतिशेष- प्रो. भगवान शरण भारद्वाज: हिंदी-संस्कृत साहित्य के जीवंत विश्वकोश किंवा गीर्वाणयुग का गोलोकगमन 😢

ऋषिता के युगभाष्य थे वे। पूरे पच्चीस बरस विभागाध्यक्ष रहे और कुछ समय कार्यवाहक प्राचार्य भी। पर पदलिप्सा न व्यापी कभी। इसे वे थैंकलेस जॉब बोलते रहे और वरिष्ठतम पाले…

नारी सम्मान, स्वाभिमान बनाम ‘कन्यादान’?

'कन्यादान' शब्द परम्परा को बदले जाने की आवश्यकता महसूस करने का मुख्य कारण यह है कि अधिकांश परिवार ‘कन्यादान’ की महत्ता को समझ नहीं पाते और जीती जागती महिला को…

अपनी जवाबदेही और सीमाएं खुद ही तय क्यों नहीं करती न्यायपालिका?

हृदयनारायण दीक्षित सत्य पथिक वेबपोर्टल: लोकतंत्र भारत की जीवनशैली है। संविधान की उद्देशिका में राष्ट्र राज्य की शक्ति का मूल स्रोत ‘हम भारत के लोग हैं।’ उद्देशिका में भारत के…

महान कोरोना हेल्थ फ्रंटलाइन वारियर्स! नमन आपको!! लेकिन हिदायत भी तो समझें!

संपादकीय अपनों से अपनी बात शुभ प्रभात मित्रों,अभिनंदन, शत-शत अभिनंदन!सुबह सवेरे का प्रथम प्रणाम उन सभी महान कोरोना महायोद्धाओं को, जिन्होंने अपने दुधमुंहे बच्चों, बीमार सास-ससुर को घर पर छोड़कर…

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