मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ ने टेलीविजन पर प्रसारित हो रहे कंडोम के विज्ञापनों (Condom Advertisement) को लेकर एक तल्ख टिप्पणी की है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट की जस्टिस एन. किरुबाकरन और बी. पुगलेंधी की बेंच ने कहा सैटेलाइट टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले कुछ कंडोम विज्ञापन अश्लील फिल्मों (Porn Movies) की तरह दिखते हैं और युवाओं के दिमाग को प्रभावित करते हैं।

ऐसे विज्ञापनों पर चिंता जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे विज्ञापन महिलाओं को इस तरीके से चित्रित करते हैं जो शालीनता और मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी और एन किरुबारकान की पीठ ने कहा कि लगभग सभी टीवी चैनल रात 10 बजे के बाद कुछ विज्ञापनों का प्रसारण करते हैं जिनमें कंडोम की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नग्नता होती है। ऐसी सामग्री केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 और केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने कहा कि कुछ विज्ञापन तो ऐसे हैं, जो अफ़्रोडिसियक किस्म के लगते हैं। इन्हें प्रचलित तौर पर लव ड्रग्स कहा जाता है। ये पॉर्न फिल्म से कम भी नहीं हैं।

condom advertisement नग्नता को देते हैं बढ़ावा

कोर्ट ने कहा कि समय समय पर इस बात पर ध्यान देने की जरूरत कि इस तरह के कार्यक्रमों का कंटेट नियमों का उल्लंघन ना करें। अदालत ने कहा कि ये विज्ञापन नियमों का भी उल्लंघन करते हैं। कोर्ट ने कहा कि केबर ऑपरेटर ये सुनिश्चित करें कि महिलाओं का चित्रण ‘सौंदर्यमय और सुरुचिपूर्ण’ तथा ‘शालीनता के स्थापित मानदंडों के भीतर’ हो। कोर्ट ने माना कि ‘कंडोम और कामोत्तेजक, आंतरिक वस्त्र बेचने के नाम पर’ चलाए गए विज्ञापन नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।

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