प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर चौकी इंचार्ज और विवेचक दोनों निलंबितकानपुर, सत्य पथिक न्यूज नेटवर्क: कानपुर में लापता बेटी को ढूंढने के लिए गाड़ी में डीजल भरवाने के नाम पर गरीब दिव्यांग वृद्धा से वसूली करने के आरोप में प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर डीआईजी ने मंगलवार को सनिगवां चौकी प्रभारी राजपाल सिंह व जांच अधिकारी अरुण कुमार को निलंबित कर दिया है। पुलिस चार संदिग्ध लोगों को मंगलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ में जुटी है।
लेकिन एफआईआर अब तक नहीं ?
पूरे मामले में एक बात तो साफ हो गई है कि वृद्धा की मजबूरी का फायदा उठाकर दरोगा ने रकम वसूली। पुलिस की जांच में आरोप पर मुहर भी लग गई है। अब सवाल है कि दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। अगर सामान्य शख्स होता तो उस पर वसूली का केस दर्ज कर दिया जाता। वृद्धा के मामले में विभागीय कार्रवाई कर कानूनी कार्रवाई से दरोगा को बचाया जा रहा है।
पहले भी होती रही है लीपापोती
लीपापोती का यह मामला भी अलग नहीं है। कुछ अरसा पहले एसएसआई कौशलेंद्र प्रताप सिंह चोरी की कार इस्तेमाल करते पकडे़ गए। जांच में दोषी साबित होने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर स्थानांतरण कर बिठूर एसओ से शिवराजपुर थानेदार बना दिया गया। बिकरू कांड की एसआईटी जांच में इंस्पेक्टर राममूर्ति यादव दोषी पाए गए। विभागीय जांच भी जारी है लेकिन बजरिया थानेदार का चार्ज बरकरार है। वहीं सोमवार को दरोगा इशरत अजहर को भी थाने में तैनाती दे दी गई। इशरत की विकास दुबे के साथ मिलीभगत थी। इसका खुलासा एसआईटी जांच में हुआ।
न आरोपियों का पता, न किशोरी का
वृद्धा ने किशोरी के चचेरे भाई ठाकुर, मनी, रजोल, विनोद, ओमी राम व दो अज्ञात पर जबरन शादी के लिए अपहरण (धारा 366, 363) व साजिश (धारा 120-बी) की धारा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने अब तक इसमें कोई कार्रवाई नहीं की थी। जब मंगलवार को मामला मीडिया में आया तो पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया है। मुख्य आरोपियों का कोई सुराग नहीं है। किशोरी के बारे में भी पुलिस कोई जानकारी नहीं जुटा सकी है।