सत्य पथिक वेबपोर्टल/नई दिल्ली/ACJM fired for rong verdict: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश की एक महिला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा प्रोबेशन (परिवीक्षा) के दौरान गलत न्यायिक आदेश पारित करने पर सेवा समाप्ति को चुनौती देने वाली उसकी रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने माना कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के आदेश पर न्यायाधीश की सेवा समाप्ति का मध्य प्रदेश सरकार का निर्णय न्यायोचित और तर्कसंगत था। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने पूर्व जज की रिट याचिका को खारिज कर उसकी बर्खास्तगी के आदेश को बहाल रखा है।
सजा घटाने को हत्या को गैर इरादतन हत्या में बदल दिया था
याचिकाकर्ता पूर्व एसीजेएम को परिवीक्षा के दौरान सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि उसने हत्या (धारा-302) के एक दोषी को सिर्फ पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी जबकि हत्या की न्यूनतम सजा उम्रकैद है। दरअसल, उन्होंने हत्या के अपराध को ‘गैर इरादतन हत्या’ में बदल दिया था। इस अनियमितता का हवाला देते हुए पूर्ण पीठ ने उन्हें बर्खास्त करने की सिफारिश की, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया।
पहला फैसला बताते हुए मांगी थी रियायत
याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हें नोटिस नहीं मिला था और एक गलती बर्खास्तगी का आधार नहीं हो सकती। सफाई दी कि, “वह मेरी पहली पोस्टिंग थी और पहला फैसला था। मैं अभी भी सीख रही हूं। पहली ही गलती पर खुद को साबित करने का मौका दिए बगैर ही मुझे बर्खास्त कर दिया गया था।” लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने इन दलीलों को बर्खास्तगी आदेश रद्द करने के लिए नाकाफी माना। कहा, “हमारी आपके लिए सहानुभूति तो है, आपको भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं भी देते हैं लेकिन बर्खास्तगी आदेश रद्द नहीं कर सकते।”