भाजपा सांसद अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और तीन मंत्रालयों से मांगा है जवाब

नई दिल्ली/National/सत्य पथिक न्यूज नेटवर्क: आबादी के हिसाब से राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही पांच समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे के खिलाफ अलग-अलग हाईकोर्ट में विचाराधीन मामलों को एक जगह स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर भी केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस भेजकर 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली, मेघालय, गुवाहाटी हाईकोर्ट (High Court) पहले ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सीज कर चुके हैं।


अक्तूबर 1993 में पांच समुदायों को मिला था अल्पसंख्यक का दर्जा

बता दें कि अक्टूबर 1993 में इस अधिनियम के तहत अधिसूचना जारी कर पांच समुदायों- मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी को देश भर में अल्पसंख्यक घोषित किया गया था। इसी फैसले के विरुद्ध बीजेपी सांसद, वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर की है। उनकी दलील है कि या तो अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक खत्म किया जाए, अन्यथा देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए। उपाध्याय ने नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट 1992 के उस प्रावधान को खत्म करने की मांग की है, जिसके तहत देश में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है।


राज्यवार दिया जाए अल्पसंख्यक का दर्जा

अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में आरोप लगाया है कि पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर में सिखों की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यकों का लाभ उठा रही है।

उन्होंने मांग की है कि अगर कानून कायम रखें तो जिन 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें भी राज्यवार अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए, ताकि वह भी अल्पसंख्यक श्रेणी का लाभ ले सकें। इस मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी।


9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक, लेकिन लाभ से वंचित

अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा कि केंद्र ने माइनॉरिटी एक्ट की धारा-2 (C) के तहत मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिख, बौद्ध जैन को अल्पसंख्यक घोषित किया है, लेकिन यहूदी, बहावी समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया गया था. देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, मगर उनको अल्पसंख्यक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। याचिका में बीजेपी नेता ने कहा कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब मणिपुर में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। लिहाजा इन राज्यों में  हिंदुओं को अल्पसंख्यक का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन उनका लाभ इन राज्यों के बहुसंख्यक को दिया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन केंद्रीय मंत्रालयों को जारी किए नोटिस

शीर्ष अदालत में वरिष्ठ वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने इस मामले में उपाध्याय का प्रतिनिधित्व किया। उपाध्याय ने शीर्ष अदालत का रुख किया है, ताकि हाईकोर्ट से सभी मामलों को एक सक्षम कोर्ट में स्थानांतरित कराया जा सके। न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना वी. राम सुब्रमण्यम के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की पीठ ने केंद्रीय गृह, कानून और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है। आपको बता दें कि बीजेपी नेता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पहले भी अर्जी दाखिल की थी, हालांकि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था।

9 राज्यों में क्या है हिंदुओं की स्थिति, देखिए-

लद्दाख – 1.00%
मिजोरम – 2.75%

लक्षद्वीप- 2.77%
कश्मीर- 4.00%
नागालैंड- 8.74%
मेघालय- 11.52%
अरुणाचल प्रदेश- 29.04%
पंजाब- 38.49%
मणिपुर- 41.29%

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