#कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोतीलाल वोरा पर ठीकरा फोड़कर बचने की कोशिश

#ईडी के अधिकारों में दखल से इन्कार कर SC ने दिया गांधी परिवार को बड़ा झटका

निर्भय सक्सेना

-:वरिष्ठ पत्रकार:-

पांच हजार करोड़ रुपये के देश के चर्चित घोटाले पर निष्पक्ष-बेबाक विश्लेषण

सत्य पथिक वेबपोर्टल/बरेली:National Herald Case: दिल्ली सहित देश भर में कांग्रेस के सांसदों के धरना-प्रदर्शन, रेल रोकने के बावजूद दैनिक नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ( एजेएल) के कई दशक पुराने लगभग पांच हजार करोड़ रुपये के देश के बहुचर्चित घोटाले का जिन्न गांधी परिवार का अब भी पीछा नहीं छोड़ पा रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गुलाब नबी आजाद और आनंद शर्मा ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साधते हुए सरकारी जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो ईडी को आतंक फैलाने वाली एजेंसी तक करार दे दिया। उन्होंने कहा कि ईडी के पास तो सीबीआई से भी ज्यादा शक्ति है। वहीं, गुलाम नवी आजाद ने सवाल दागा कि जब कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस और उसमे आरोपित गांधी फैमिली भी एक ही है। तो जब बेटे सांसद राहुल गांधी से ईडी घंटों पूछताछ कर ही चुकी थी तो अब उसी केस में बुजुर्ग-बीमार कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को फिर से बुलाने का क्या मतलब है? कांग्रेस के आरोप का जबाव देते हुए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस के सत्याग्रह को असत्याग्रह बताया और इसे जनता को गुमराह करने वाला भी कहा।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी और सांसद राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोतीलाल वोरा पर ठीकरा फोड़कर अपनी गर्दनें बचाने की कोशिश में लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ईडी की पूछताछ में यही कहा कि कांग्रेस, एजेएल और यंग इंडियन के बीच आर्थिक लेनदेन का ब्यौरा कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोती लाल बोरा ही रखते थे। यही बात राहुल गांधी ने भी 50 घंटे चली प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में कही थी। उधर माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों में कटौती करने या उसके काम में दखल देने से इन्कार कर ईडी को बड़ी राहत दी है।

पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सुप्रसिद्ध वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए इसे सुप्रीम फैसला बताया। स्वामी ने एक ट्वीट कर कहा कि पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट पी. चिदंबरम आदि के लिए ठीक वैसा ही है जैसे चिकेन खुद तलने के लिए कड़ाही में आ गिरे। ईडी को यूपीए सरकार के दौरान ही शक्तिशाली बनाया गया था। स्वामी का आरोप है कि सोनिया-राहुल ने कांग्रेस के पार्टी फंड से अवैध रूप से लोन देकर नेशनल हैराल्ड की दो हजार से ज्यादा की परिसंपत्तियों को हथिया लिया। इन दोनों के एजेएल में सर्वाधिक 38-38 फीसदी शेयर हैं। स्वामी और अन्य भाजपा नेता इसे पांच हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का महाघोटाला बताते रहे हैं।

कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यंग इंडियन द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) और उसकी 800 करोड़ रुपये की संपत्ति के अधिग्रहण के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तीसरे दिन भी लगभग 6 घंटे पूछताछ की। इस दौरान श्रीमती गांधी ने यंग इंडियन द्वारा नेशनल हेराल्ड और अन्य पार्टी प्रकाशनों के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (ए जे एल) की संपत्ति के अधिग्रहण की सुविधा देने वाले लेनदेन का विवरण देने में असमर्थता व्यक्त की । बता दें कि इस कंपनी में श्रीमती सोनिया गांधी और उनके बेटे सांसद राहुल गांधी दोनों की ही सर्वाधिक हिस्सेदारी है।
ई डी के सूत्रों के अनुसार पूछताछ के दौरान ने सोनिया गाँधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोतीलाल वोरा ही अकेले कांग्रेस, एजेएल और यंग इंडियन के बीच लेनदेन के विवरण के बारे में जानते थे।
इस मामले में ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि यंग इंडियन (वाईआई) ने ए जे एल और उसकी संपत्तियों का अधिग्रहण कैसे किया? ईडी अनिवार्य रूप से इसकी प्रमुख अचल संपत्ति के बारे में जानना चाहती है जो दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, भोपाल और चंडीगढ़ जैसे शहरों में कांग्रेस सरकारों द्वारा रियायती दरों पर उसे दी गई थी। सूत्रों के अनुसार, यंग इंडियन ने कांग्रेस को एक करोड़ रुपये में से केवल 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो कि डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड से था। ईडी को संदेह है कि यह कोलकाता स्थित एक मुखौटा कंपनी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि उसने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (ए जे एल) को अपने कर्मचारियों के भविष्य निधि बकाया और वीआरएस बकाया के भुगतान के लिए अपने दायित्वों को पूरा करने में मदद करने के लिए 90.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। वहीं, ईडी का कहना है कि पार्टी के पदाधिकारी कथित भुगतान का कोई सबूत देने में विफल रहे हैं। वह यह भी नहीं बता पाए हैं कि भुगतान नकद में किया गया या फिर चेक के जरिए? सूत्रों का कहना है कि यंग इंडियन का दावा है कि उसने एजेएल के कांग्रेस के कर्ज को अपने कब्जे में ले लिया और बदले में पार्टी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (ए जे एल) की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी को हस्तांतरित कर दिया।

ईडी का कहना है कि उसे यह अविश्वसनीय लगा कि यंग इंडियन ने 5 लाख रुपये की शेयर पूंजी के साथ कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये के कर्ज को अपने ऊपर ले कर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (ए जे एल) की संपत्ति पर कब्जा करने में कामयाब रहा। प्रवर्तन निदेशालय (ई डी) डोजियर के अनुसार, “चूंकि 90.2 करोड़ रुपये के ऋण की कथित खरीद के समय यंग इंडियन (वाई आई) के पास कोई धन नहीं था, इसलिए उसने डॉटेड मर्चेंडाइज से 1 करोड़ रुपये का ऋण लेने का दावा किया।”
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से तीन दिनों में कई घंटे के सत्र के दौरान ईडी ने 90 से अधिक सवाल पूछे। ईडी ने उनके बयान दर्ज किए हैं। ईडी सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं को राहुल के करीब 100 सवालों के जवाब रिकॉर्ड करने में पांच दिन लगे थे।

लखनऊ से निकाला था दैनिक “वर्कर्स हेराल्ड”

आजकल नेशनल हेराल्ड का भूत श्रीमती सोनिया गांधी एवं सांसद राहुल गांधी की नींद उड़ाए हुए है। आज भी ‘नेशनल हैराल्ड’ लखनऊ के दर्जनों कर्मचारियों के वेतन संबंधी प्रकरण लखनऊ के श्रम न्यायालय व अन्य अदालतों में फाइलों के ढेर में दबे हैं। स्वर्गीय एस. पी. निगम और स्वर्गीय आर. के. अवस्थी ने नैशनल हैराल्ड के कर्मचारियों को बकाया वेतन दिलवाने के लिए अपने जीते जी लंबी लड़ाई लड़ी। इस पुनीत कार्य में यू. पी. जर्नलिस्ट एसोशियशन (उपजा) के पत्रकारों ने भी उनका भरपूर साथ दिया था।
पत्रकार साथी भले ही मजाक में कहते हों पर यह सही है कि ‘नेशनल हैराल्ड’ के स्वर्गीय पत्रकारों का भूत आज भी कांग्रेस को घेरे खड़ा है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को काफी सुराग भी मिले है । एक समय तो ‘नेशनल हैराल्ड’ की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों ने सहकारिता के आधार पर लखनऊ से दैनिक ‘वर्कर्स हेैराल्ड’ नामक समाचार पत्र भी निकालकर अपना संघर्ष जारी रखा था। इस ‘वर्कर्स हैराल्ड’ समाचार पत्र में इन पंक्तियों के लेखक और उपजा से जुड़े कई अन्य पत्रकारों ने भी इसके शेयर खरीदकर अपना आर्थिक योगदान किया था।
‘नेशनल हैराल्ड’ कर्मियों का संघर्ष वर्ष 1970 के दशक से ही चलता रहा। जिस समय ‘नेशनल हैराल्ड’, ‘नवजीवन’, ‘कौमी आवाज’ समाचार पत्रों का लखनऊ में दबदवा था, उस दौर में भी ‘नेशनल हैराल्ड’, ‘नवजीवन’ के पत्रकार साथी हमेशा वेतन के लिए संघर्ष करते रहे। नेशनल हैराल्ड के संपादकीय विभाग के एस. पी. निगम, सरदार अवतार सिंह कल्सी, एस. के. राव, श्रीमान टंडन हो या नवजीवन के आर.के.अवस्थी या अन्य पत्रकार साथी, सभी हमेशा पत्रकारों के कल्याण की लड़ाई लड़ते रहे जो अब जीवित भी नहीं हैं।
स्वर्गीय एस.पी.निगम के बारे में लखनऊ के पत्रकार साथी बताते हैं निगम साहब विधान सभा में जाएं या न जायें लेकिन उनकी नेशनल हेराल्ड की रिपोर्टिंग अन्य समाचार पत्रों पर हमेशा भारी पड़ती थी। यही हाल आर. के. अवस्थी का था। हिन्दी नवजीवन में रहते हुए भी वह चलती-फिरती अंग्रेजी डिक्शनरी और खेलकूद के समाचारों को पैनापन देने में माहिर थे।
लखनऊ के केसरबाग एव॔ नई दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित नेशनल हैराल्ड हाउस के कार्यालय में मुझे जाने का कई बार अवसर मिला। बरेली से कुछ दिनो नवजीवन को समाचार भी भेजे पर मुझे वहां मुझे आत्मसंतुष्टि नहीं मिली क्योंकि अंतिम दौर में नवजीवन बदहाली के दौर से गुजर रहा था। ‘नेशनल हैराल्ड’ व ‘नवजीवन’ के बरेली संवाददाता रहे स्वर्गीय मुंशी प्रेम नारायण सक्सेना वर्षों इस समाचार पत्र से जुड़े रहे। बाद में उनके सहयोगी रहे भैरव दत्त भट्ट ने बरेली में दैनिक ‘नवजीवन’ का कार्य संभाला। नगर विकास मंत्री राम सिंह खन्ना के कार्यालय में सहायक बनने के बाद भैरव दत्त भट्ट ने नवजीवन का कार्य छोड़ दिया था। उसके बाद ही मुंशी प्रेम नारायण ने मुझे ‘नवजीवन’ समाचार पत्र में एवं कौसर शम्सी को दैनिक ‘कौमी आवाज’ में बरेली के समाचार भेजने को कहा था।

मुझे याद है लखनऊ में जब आर. के. अवस्थी से कार्यालय में मिला तो उन्होंने मुझे युवा होने के नाते सलाह दी कि समाचार पत्र से पार्ट टाइम जुड़ो और अपना कोई और कार्य देखों क्योंकि हैराल्ड ग्रुप में पत्रकारों का भविष्य ठीक नहीं है। हम लोग खुद वेतन के लिए संघर्ष करते रहते हैं। बाद में उपजा के कई कार्यक्रमों में एस. पी. निगम व आर.के. अवस्थी के साथ देश भर में घूमने का अवसर भी मिला। उन्होंने पत्रकारिता संबंधी कई टिप्स दिये व हमेशा कुछ न कुछ पढ़ते रहने पर जोर दिया। आज भले ही वे नहीं हैं लेकिन उनकी बातें आज भी वक्त की कसौटी पर एकदम खरी उतरती हैं। श्री अवस्थी व एस.पीे.निगम कहते थे कि नेशनल हैराल्ड निकालने वाले ए. जे. एल. ग्रुप ने 1977 में अखबार बंद कर दिये। बाद में श्रम विभाग व श्रम अदालतों के चक्कर में इन्होंने अपने कई वर्ष खराब किये लेकिन नतीजा नहीं निकाला। आज भी अखबार कर्मियों का नेशनल हैराल्ड पर काफी वेतन बकाया पड़ा है।

बाद में एक बार पुनः प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में कानपुर के श्रमिक नेता विमल मेहरोत्रा आदि के कहने पर अखबार ने पुनः रेगना प्रारंभ किया पर वह दौर भी इस अखबार को आर्थिक संकट से नहीं उबार सका और वर्ष 2008 में यह समाचार पत्र पूरी तरह बंद हो गया। हिंद मजदूर सभा से जुड़े कानपुर के कांग्रेसी नेता विमल मेहरोत्रा मेरे पिता अब स्वर्गीय श्री सुरेश चंद सक्सेना के मित्र होने के नाते कई बार मेरे निवास पर भी रुके थे।
श्री एस. पी. निगम व अवस्थी बताते थे कि एक दौर ऐसा भी था कि नेशनल हैराल्ड के संपादक चेलापति राव के कमरे में जाने से पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री व नेशनल हैराल्ड समूह के मालिक जवाहर लाल नेहरू को भी इजाजत लेनी पड़ती थी। यह था नेशनल हैराल्ड के संपादक चेलापति राव का रुतबा लेकिन आज के दौर में दैनिक समाचार पत्रों में संपादक जैसा पद ही गौण हो गया है।
जहां तक यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) की बात है उसने हमेशा ऐसोसियेट जनरल लिमिटेड (ए.जे.एल.) ‘नेशनल हैराल्ड’ के संघर्ष में भाग लिया। इसके बाद नेशनल हैराल्ड के कर्मचारियों ने लखनऊ से सहकारिता के आधार पर ‘वर्कर्स हैराल्ड’ समाचार पत्र अमीनाबाद लखनऊ से प्रकाशित किया। जिसमें कई उपजा से जुड़े पत्रकारों ने आर्थिक सहयोग दिया। आज भले ही एस. पी. निगम व आर. के. अवस्थी जीवित न हों पर उनके द्वारा शुरू किए गए दैनिक अखबार ‘वर्कर्स हैराल्ड’ को लखनऊ से एस. के. सिंह आदि लोग निकलते रहे। फिर वह बंद हो गया। बरेली में पहले इसके प्रतिनिधि शंकर दास थे ।

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