~सिरौली के गांव हरदासपुर में खेत में मरणासन्न मिली थी नवजात
~रामपुर गार्डन में डॉ. रवि खन्ना के इलाज से हुई स्वस्थ
~देखना है विधायक पप्पू भरतौल की तरह
कौन राजा जनक इस बेचारी को देगा पितृत्व की छांव
गणेश ‘पथिक’
Editor-in-Chief
Satyapathik.com
सिरौली थाना क्षेत्र के हरदासपुर गांव के सरसों के खेत मे मिली नवजात बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ हो गई है। 20 जनवरी को बच्ची को पुलिस ने जिला महिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती करवाया था जहां से हालत सीरियस होने की वजह से अगले दिन उसे रामपुर गार्डन बरेली के डॉ. रवि खन्ना के हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था।
डॉक्टर रवि खन्ना की गोद में यही वो मासूम बच्ची है जिसे कोई बदनसीब मां लोकलाज के डर से कलयुगी पैदा होते ही कड़ाके की ठंड में सरसों के खेत मे फेंक गई थी। भीषण सर्दी में रात भर बच्ची खेत मे ही पड़ी रही। सुबह को खेतों में काम करने गए किसानों ने लावारिस नवजात बच्ची को मरताऊ हाल में पड़ा देखा तो एक किसान उसे उठाकर अपने घर ले गया।
पुलिस कर्मियों ने भी दिखाई खूब दरियादिली
सूचना पर पुलिस गांव पहुंची और मरणासन्न बच्ची को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया। एक दिन भर्ती रखने के बाद हालत सीरियस होने पर डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर को रेफर कर दिया था। इस पर पुलिसजनों ने ही बच्ची को रामपुर गार्डन स्थित डॉं रवि खन्ना के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
वेंटिलेटर पर रही थी कई दिन
जाने-माने नवजात शिशू रोग विशेषज्ञ डॉं. रवि खन्ना ने बताया- बच्ची 21 जनवरी को उनके हॉस्पिटल में भर्ती हुई थी और अब यह पूरी तरह स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि जब बच्ची आई थी तो उसकी हालत बहुत खराब थी लिहाजा उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा लेकिन अब हालत सामान्य होने पर उसे दोबारा जिला महिला अस्पताल पहुंचा दिया गया है।
विधायक पप्पू भरतौल और लाड़ली सीता की कहानी भी है मार्मिक
गौरतलब है कि एक साल पहले भी श्मशान भूमि पर जमीन में एक घड़े में दफन बच्ची खुदाई के दौरान मिली थी। उस बच्ची की भी डॉ रवि खन्ना ने जान बचाई थी। उस बच्ची को भाजपा के बिथरी चैनपुर से विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने गोद ले लिया और उसका नाम सीता रखा है।
भावुक कर देगी ‘अमिताभा’ की पुरानी स्टोरी भी!
याददाश्त पर थोड़ा जोर डालें तो कुछ साल पहले बरेली में ही कचरे के ढेर में मिली ‘अमिताभा’ और जाने-माने कवि स्व. किशन सरोज के पुत्र वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ सक्सेना (अब स्वर्गीय) की भावुक कर देने वाली प्रेरणादायी स्टोरी शायद आपके जेहन में बिजली की तरह कौंध जाए। सर्दी की ठिठुरन भरी रात के तीसरे पहर अखबार के दफ्तर से काम निपटाकर स्कूटर से घर लौट रहे अमिताभ ने बच्ची का न सिर्फ जिला अस्पताल में इलाज करवाया था बल्कि “अमिताभा’ नाम देते हुए बाकायदा गोद लेकर बिटिया की तरह पाला भी था। दुर्भाग्यवश कुछ समय बाद अमिताभ बीमारी के चलते चल बसे थे। अमिताभा अब भी पापा को बहुत “मिस’ करती है।
कौन राजा जनक पितृत्व की छांव देने आएगा आगे?
देखना है कि जिला महिला अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में भर्ती इस बेचारी सीता को पिता का लाड़-दुलार देने के लिए विधायक पप्पू भरतौल की तरह अब कौन राजा जनक बाहें फैलाए आगे आएगा…?