नई दिल्ली, सत्य पथिक न्यूज नेटवर्क: केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने गुरुवार को अखिल भारतीय स्तर के पांच सर्वेक्षणों के लिए एक सॉफ्टवेयर लांच किया। इस मौके पर उन्होंने अपने वक्तव्य में पॉलिसी बनाने के लिए सटीक देयता की उपलब्धता के महत्व पर जोर दिया। मंत्री ने लेबर ब्यूरो द्वारा संचालित इन पांचों सर्वेक्षणों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए। इन दिशा-निर्देशों के साथ सवालों की एक सूची भी है। इस मौके पर गंगवार ने कहा, ”नीति बनाने में सटीक आंकड़ों की अहमियत बहुत अधिक होती है। सटीक आंकड़े नहीं होने पर आप वर्तमान हालात और भविष्य के असर का विश्लेषण नहीं कर सकते हैं। नीतियों से जुड़े फायदों को एकदम निचले स्तर तक ले जाने के लिए यह काफी अहम है।”

उन्होंने जानकारी दी कि इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से इन पांचों सर्वेक्षणों को करने में लगने वाले समय में 30 से 40 फीसद की बचत होगी। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक आईटी कंपनी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।

लेबर ब्यूरो द्वारा लिए जाने वाले ये पांच सर्वे हैं- ऑल इंडिया सर्वे ऑन माइग्रेंट्स वर्कर्स, ऑल इंडिया सर्वे ऑन डोमेस्टिक वर्कर्स, ऑल-इंडिया सर्वे ऑन इम्पलॉयमेंट जेनेरेटेड बाय प्रोफेशनल्स, ऑल इंडिया सर्वे ऑन एम्पलॉयमेंट जेनरेटेड इन ट्रांसपोर्ट सेक्टर और ऑल इंडिया क्वार्टरली एस्टैबलिस्टमेंट बेस्ड इम्प्लॉयमेंट सर्वे।

इस अवसर पर श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि आंकड़ों को समय पर जारी किया जाना बहुत अहम है क्योंकि इससे सरकारी नीतियों के जमीन पर हो रहे असर का मूल्यांकन हो पाता है। उन्होंने कहा, ”कुछ माह पहले आत्मनिर्भर भारत रोजगार अभियान (ABRY) की शुरुआत की गई थी। इस स्कीम के तहत अगले दो साल में 25,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस योजना का लक्ष्य 54 लाख नए लोगों को रोजगार देने का है। इन सर्वेक्षणों के जरिए इस बात का मूल्यांकन हो सकेगा कि यह स्कीम कितनी प्रभावी है।”

ABRY के तहत भारत सरकार अगले दो साल तक नए कर्मचारियों के लिए ईपीएफ फंड में होने वाले नियोक्ता और कर्मचारियों दोनों के हिस्से का अंशदान करेगी। चंद्रा ने कहा कि एक अवधि के दौरान नीतियों के प्रभाव के आकलन के लिए बार-बार सर्वे कराना जरूरी है।

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