सत्य पथिक वेबपोर्टल/प्रयागराज/UP Govt. refunding ₹290crore of application fee: यूपी बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने प्रदेश के सभी बीएसए और डायट (D.I.E.T.) प्राचार्यों को पत्र लिखकर बेसिक शिक्षक भर्ती 2012 के सभी अभ्यर्थियों के आवेदन शुल्क के 290 करोड़ रुपये लौटाने की प्रक्रिया फौरन शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
सचिव द्वारा भेजे गए शासकीय परिपत्र के अनुसार संबंधित अभ्यर्थियों को आवेदन शुल्क वापस पाने के लिए 31 जुलाई तक अपने जिले के बीएसए कार्यालय में आवेदनपत्र विधिवत् भरकर जमा कराना होगा। आवेदन सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को करने होंगे जिन्होंने 22 दिसंबर 2018 तक आवेदन नहीं किए थे।

दरअसल वर्ष 2012 में 72,825 ट्रेनी टीचर्स की भर्ती के लिए दोबारा प्रदेश भर में आवेदन करने वाले बेरोजगारों को आवेदन शुल्क के रूप में वसूले गए 290 करोड़ रुपये लौटाने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है। ये आवेदन बसपा सरकार में पहली बार नवंबर 2011 में आईटी मेरिट पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए कराए गए थे। बाद में भर्ती में गड़बड़ियां मिलने पर भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई थी। वर्ष 2012 में इसी प्रकरण में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन की गिरफ्तारी भी कर ली गई थी।
वहीं इसके बाद सत्ता में आई सपा सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए आईटी मेरिट की जांच कराई और आईटी की मेरिट की जगह एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्ती कराने का निर्णय लिया। इसके लिए 5 दिसंबर 2012 से डायट के माध्यम से आवेदन मांग गए थे। अभ्यर्थियों को 500-500 रुपये फीस भी देनी पड़ी थी। जिन अभ्यार्थियों ने सभी 75 जिलों का विकल्प भरा था उन्हें तो बतौर आवेदन शुल्क 37500-37500 रुपये की भारी-भरकम रकम भरनी पड़ी थी।
अल्टीमेट और एकेडमिक रिकॉर्ड का विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2011 में पहली बार आईटी मेरिट के आधार पर दिए गए आवेदनों को ही मान्य किया था। अब डायट के माध्यम से दोबारा आवेदन करने वालों की फीस वापसी की कार्यवाही तेज कर दी गई है।
सचिव बेसिक शिक्षा द्वारा जारी किए गए परिपत्र के मुताबिक अभ्यर्थियों की तरफ से शुल्क वापसी के लिए उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों का मिलान एक्सल डाटा से होने के बाद 16 दिसंबर 2018 से 22 दिसंबर 2018 तक फीस वापसी के लिए प्राप्त किए गए वैध आवेदन पत्रों के आधार पर अंतिम सूची तैयार की जाएगी। यह सूची परिषद कार्यालय को उपलब्ध कराई जाएगी ताकि पता लग सके कि जनपद में शुल्क वापसी के लिए कितनी धनराशि की जरूरत है?