देहरादून/चमोली/Disaster/सत्य पथिक न्यूज नेटवर्क: चमोली के रैणी गांव के पास ग्लेसियर और बादल फटने की भयावह आपदा में अब तक 18 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि 202 लोग लापता हैं। टनल में अभी 25 से 35 लोग फंसे हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए सेना, आइटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं। वहीं, इस हादसे में छह लोग घायल हो गए हैं। एनटीपीसी से 12 कार्मिकों को रविवार को ही सुरक्षित निकाल लिया गया है।
रविवार को ग्लेशियर टूटने और बादल फटने के कारण ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना ध्वस्त हो गई थी। तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट की दूसरी सुरंग में 30 से 35 व्यक्ति फंसे हैं। टनल में मलबा भरे होने के कारण उनके रेस्क्यू में दिक्कत आ रही हैं।
ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में भारी बाढ़ आ गई है। बाढ़ में इन दोनों प्रोजेक्टों में काम करने वाले कई श्रमिक और स्थानीय लोग लापता हैं। इनकी तलाश में एसडीआरएफ की 11 टीमें जी-जान से जुटी हैं। दो टीमें रैणी, चार टीमें तपोवन, दो टीमें जोशीमठ और तीन टीमें श्रीनगर में तलाशी अभियान चला रही हैं। एयरफोर्स के चार हेलीकाप्टरों की भी मदद ली जा रही है।
सोमवार को राहत-बचाव के साथ लापता व्यक्तियों के तलाशी अभियान में एसडीआरएफ के 70 जवान, एनडीआरएफ के 129 जवान, आइटीबीपी के 425 जवान, एसएसबी की एक टीम, सेना के 124 जवान, आर्मी की दो मेडिकल टीम और स्वास्थ्य विभाग की दो टीमें लगी हैं।
27 लोगों को सुरंग से जिंदा निकाला, 50 फंसे हैं
2.5 किलोमीटर लंबी सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है। समस्या मलबे के साथ है, जो धीरे-धीरे साफ हो रही है। अभी तक सुरंग में से 27 लोगों को जिंदा और 11 मृतकों को बाहर निकाला गया है। 153 लापता बताए जा रहे हैं। 153 लापता लोगों में से 40-50 अभी भी सुरंग में फंसे हुए हैं। शेष लोगों के बहने की आशंका है।-एसएन प्रधान, महा निदेशक