कोरोना को लेकर जहां लोगों में खौफ खत्म हो गया है वहीं उत्तरप्रदेश के वाराणसी में कोरोना से निजात के लिए अंधविश्वास की हदें पार कर दी गई। वाराणसी में कोरोना से निजात के लिए तपस्वियों ने श्मशान घाट में जलती चिताओं के बीच तांत्रिक क्रिया शव साधना की। अघोरी बाबा मणिराज ने बताया कि यह साधना कोरोना से निजात के लिए की गई है।

बताया जाता है कि तंत्र साधक दिवाली की रात महाश्मशान पहुंचते हैं और तांत्रिक सिद्धियों के लिए देवी काली और बाबा भैरव के साथ ही बाबा मशान नाथ की उपासना करते हैं। सिद्धियों की प्राप्ति के लिए तांत्रिक पूरी रात बाबा मशान नाथ के मंदिर से लेकर जलती चिताओं तक, तंत्र क्रियाएं करते हैं।
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इस तंत्र साधना के संबंध में अघोरी कहते हैं कि दिवाली की रात को महानिशा काल कहा जाता है। इसलिए तामसिक साधना करने वाले को चमत्कारी सिद्धियां मिलती हैं। महाश्मशान पर साधना कर रहे अघोरी बाबा मणिराम बताते हैं कि तामसिक क्रिया करने के लिए शराब और मांस के साथ ही नरमुंड चाहिए होता है। जलती चिताओं के बीच बैठकर बलि दी जाती है और इस बार ये तंत्र साधना हुई. उन्होंने कहा कि यह साधना कोरोना से मुक्ति को लेकर की गई है।
शव साधना में श्मशान पर बैठ कर महाकाली की उपासना और शक्ति का आह्वान किया जाता है। इस क्रिया को तामसी क्रिया कहा जाता है. यहां भी बलि दी गई, लेकिन मुर्गे या बकरे की जगह नींबू की। इस तांत्रिक क्रिया को करने वाले एक साधक की मानें तो इस महाश्मशान पर वैसे तो हमेशा ही भगवान शंकर रहते हैं, लेकिन दिवाली की रात काली निशा में महाकाली भी मौजूद रहती हैं। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात साधना से भगवान तुरंत प्रसन्न होते हैं।
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