पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष एचआईवी (HIV) संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करते के उद्देश्य से सन् 1988 से लगातार विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) 1 दिसंबर (1 December) को मनाया जाता रहा है। हर साल विश्व एड्स दिवस की थीम को अलग रखा जाता है। एड्स घातक बीमारियों की श्रेणी में है। सत प्रतिशत उपचार नहीं होने के चलते यह बीमारी बेहद खतरनाक है। इससे बचाव ही इसका उपचार माना जाता है।

हर साल विश्व एड्स दिवस की थीम भिन्न होती है। सजगता ना होने के चलते लोगों का इस बीमारी के बारे में काफी बाद में पता चलता है। वहीं, एचआईवी (HIV) टेस्ट ना कराना भी लोगों में भ्रम की स्थिति ला देता है। इस लिए निरंतर हमें दूसरी जांचों की तरह एचआईवी (HIV) की जांच कराते रहना चाहिए। इसके लक्षणों को देखकर हम भलीभांति इसका पता लगा सकते हैं।
WHO ने 1987 में की थी शुरूआत
सबसे पहले विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत अगस्त 1987 में की गई थी। शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर काफी काम करना शुरू कराया।
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विश्व एड्स दिवस 2020 की थीम (World AIDS Day 2020 Theme)
इस साल 2020 में विश्व एड्स दिवस की थीम “एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव” रखी गई है। विश्व एड्स दिवस पहली बार 1988 में मनाया गया था। हर साल, दुनिया भर के संगठन और व्यक्ति एचआईवी महामारी की ओर ध्यान दिलाते हैं। ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम’ (Acquired Immunodeficiency Syndrome) इसका पूरा नाम है।

आखिर क्या उद्देश्य है वर्ल्ड एड्स डे का (Objective Of World AIDS Day)
जानकारी के मुताबिक वर्ल्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों में जागरूकता पैदा करना है। इस समय एड्य खतरनाक बीमारी का रूप लिए हुए है। कई बार एड्स संक्रमित बच्चों को उनके परिजन अपनाने से इंकार कर देते हैं। मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम इस बीमारी को जाना जाता है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने पर छोटा सी बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है।
UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 36.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन बताई जा रही है।
नोट : उपरोक्त सभी जानकारी, सलाह केवल ज्ञानवर्धक हैं, डॉक्टर, नई रिसर्च के अनुसार इसमें अंतर हो सकता है। अत : अपने डॉक्टर से ही संपर्क करें।
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